धार्मिक तीर्थ स्थल मरांग बुरू के संरक्षण को लेकर सौंपा ज्ञापन 

रांची: मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से उनके आवासीय कार्यालय में मरांग बुरू बचाओ संघर्ष समिति (संथाल समाज) के 51 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की। इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को धार्मिक तीर्थ स्थल मरांग बुरू (पारसनाथ) से संबंधित ज्ञापन सौंपा। जिसमें तीर्थ स्थल को संरक्षित करने सहित प्रबंधन निगरानी, नियंत्रण एवं अनुश्रवण के लिए ग्राम सभा को जिम्मेवारी देने संबंधित मांगों से अवगत कराया गया।प्रतिनिधिमंडल में विशेष रूप से दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री फागू बेसरा,  मरांङ बुरू बचाओ संघर्ष समिति (संथाल समाज) के अध्यक्ष रामलाल मुर्मू और साहित्यकार भोगला सोरेन शामिल रहे।

ज्ञापन में कहा गया कि प्राचीन काल से संथाल समुदाय “मरांग बुरू” को ईश्वर के रूप में पूजते आ रहें हैं। छोटानगपुर काश्तकारी अधिनियम 1908, सर्वे भूमि अधिकार अभिलेख, कमीश्नरी कोर्ट, पटना हाई कोर्ट और प्रीवी कौन्सील कोर्ट से संथाल आदिवासियों को प्रथागत अधिकार (Customary right) प्राप्त है। इसलिए झारखण्ड़ सरकार से मांग है कि मरांग बुरू (पारसनाथ पर्वत) को संथालों का धार्मिक तीर्थ स्थल घोषित किया जाए। इसके साथ ही समिति ने झारखंड सरकार से मांग किया है कि आदिवासियों के धार्मिक स्थल मरांङ बुरू, लुगू बुरू, अतु/ग्राम, जाहेर थान (सरना), मांझी थान, मसना, हड़गडी आदि धार्मिक स्थल की रक्षा के लिए आदिवासी धार्मिक स्थल संरक्षण अधिनियम बनाया जाए। 

मरांङ बुरू (पारसनाथ पर्वत) संथालों आदिवासियों के धार्मिक तीर्थ स्थल को सुप्रीम कोर्ट केस संख्या 180/2011 एवं अनुसूचित जनजाति और अन्य पराम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006 के धारा 3 अंतर्गत सामुहिक वन भूमि अधिकार के तहत संरक्षण, प्रबंधन, निगरानी नियंत्रण एवं अनुश्रवण की जिम्मेवारी वहाँ के आदिवासियों के ग्राम सभा को सौपा जाए। साथ ही मरांग बुरू युग जाहेर, वाहा-बोंगा पूजा महोत्सव फागुन शुल्क पक्ष तृतीय तिथि को राजकीय महोत्सव घोषित किया जाए। वहीं ज्ञापन में कहा गया कि मरांग बुरू (पारसनाथ पर्वत) में जैन समुदाय के द्वारा वन भूमि पर अवैध ढंग से मठ-मंदिर, धर्मशाला आदि का निर्माण किया गया है। अवैध ढंग से हुए निर्माण को अतिक्रमण से मुक्त किया जाए। 

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने प्रतिनिधिमंडल में शामिल सदस्यों को भरोसा दिलाया कि राज्य सरकार द्वारा उनकी मांगों पर विधिसम्मत यथोचित कार्रवाई की जाएगी। प्रतिनिधिमंडल में मरांङ बुरू बचाओ संघर्ष समिति (संथाल समाज) के झारखंड, उड़ीसा, बंगाल और छत्तीसगढ़ के सदस्य शामिल थे।

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