रामगढ़: झारखंड आंदोलन के अग्रणी नेता और सूबे पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के निधन से राज्य में शोक की लहर है। उनके निधन पर राज्य में तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की गई है। आज दिशोम गुरु शिबू सोरेन का पार्थिव शरीर उनके पैतृक निवास रामगढ़ जिले गोला प्रखंड स्थित नेमरा गांव लाया जाएगा। जहां उनका अंतिम संस्कार होगा। शिबू सोरेन के निधन पर विभिन्न राजनैतिक और सामाजिक संगठन समेत जिले भर में शोक व्याप्त हैं। प्रबुद्ध लोगों ने अपनी संवेदनाएं खबर सेल के साथ भी साझा की। 

आदरणीय शिबू सोरेन का निधन झारखंड के लिए अपूर्णीय क्षति है। वे झारखंड के आदिवासी और गरीब-वंचित समाज की प्रखर आवाज थे। उनके विचार, उनकी सादगी और उनका संघर्षशील व्यक्तित्व आनेवाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणादायी होगा। ईश्वर उनके परिजनों को यह दुःख सहने की शक्ति दें। – रोशनलाल चौधरी (विधायक, बड़कागांव)

झारखंड आंदोलन के 12 सदस्यीय नेतृत्व कमेटी में शिबू सोरेन के साथ संघर्ष का अवसर मिला। उन्होंने जल-जंगल-जमीन की लूट और महाजनी प्रथा की मुक्ति के लिए संघर्ष को बड़ी उर्जा दी। शिबू सोरेन ने शिक्षित, समृद्ध और शोषण मुक्त समाज का सपना देखा था। उनका निधन पीड़ादायक है। कॉर्पोरेट लूट और आदिवासियत पर हमले के इस दौर में शिबू सोरेन जैसे संघर्षशील नेता की कमी बेहद अखरेगी। दिशोम गुरु को श्रद्धांजलि – हीरा गोप (जिला सचिव, भाकपा माले)

“गुरूजी” शिबू सोरेन के निधन से जनजातीय समाज ही नहीं बल्कि हर एक झारखंडवासी आज मर्माहत है। उन्होंने झारखंड के लोगों में जल-जंगल-जमीन की रक्षा के लिए बलिदान देने की भावना जागृत की। उन्होंने अधिकारों के लिए संघर्ष करना सिखाया। वे गरीब और शोषितों की आवाज थे। झारखंड के लोगों के हृदय में वे हमेशा बसे रहेंगे। – रूदल कुमार (समाजसेवी सह व्यवसायी) 

दिशोम गुरू के निधन से झारखंड को राजनैतिक और सामाजिक रूप से भारी क्षति पहुंची है। जिसकी भरपाई नहीं हो सकती। झारखंड राज्य और यहां के लोगों के लिए उनका संघर्ष सभी के लिए हमेशा प्रेरणादायी रहेगा। विकसित और समृद्ध झारखंड का उनका सपना पूरा हो, ईश्वर से यही कामना है। – धनंजय कुमार ‘पुटूस’ संस्थापक सह अध्यक्ष, रामगढ़ बचाओ संघर्ष समिति)

दिशोम गुरू शिबू सोरेन झारखंड वासियों के मार्गदर्शक थे। उन्होंने यहां के लोगों को अपनी माटी-अपने अधिकार के लिए संघर्ष करना सिखाया। भगवान बिरसा मुंडा ने माटी के लिए जो उलगुलान की मशाल जलाई थी, शिबू सोरेन ने उसे दिलों में जलाए रखने के लिए प्रेरित किया। दिशोम गुरू के निधन से स्तब्ध हूं। – झरी मुंडा ( पूर्व जिप सदस्य)

झारखंड अलग राज्य आंदोलन में “गुरूजी” शिबू सोरेन का संघर्ष हम सभी के लिए अविस्मरणीय रहेगा। कई दशकों के आंदोलन के बाद केंद्र की अटल बिहारी वाजपेई की सरकार ने जन भावना और संघर्षों का सम्मान करते हुए अलग झारखंड राज्य बनाया। झारखंड के लिए गुरूजी के योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। ब्रजेश पाठक (भाजपा कार्यकर्ता)

झारखंड राज्य बनाने में दिशोम गुरू शिबू सोरेन का योगदान अतुलनीय है। उन्होंने झारखंड के गरीब गुरबाओं को महाजनी प्रथा से मुक्ति दिलाई और समाज को नई दिशा दी। शिबू सोरेन का निधन अपूर्णीय क्षति है। उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि। – दिलिप दांगी (जिलाध्यक्ष रामगढ़, आजसू) 

दिशोम गुरु झारखंडवासियों के अभिभावक स्वरूप थे। झारखंड मुक्ति मोर्चा के रूप में उन्होंने जिस संगठन की नींव रखी , आज वह मजबूती के साथ राज्य के विकास और राज्यवासियों के कल्याण की दिशा में अग्रसर है। शिबू सोरेन के विचार और उनके संघर्षों की छाप झारखंड के राजनैतिक और सामाजिक पटल पर हमेशा दिखती रहेगी। उनका सानिध्य अविस्मरणीय रहेगा। गुरूजी की कमी बहुत खलेगी। – बिरेंद्र यादव (जिलाध्यक्ष रामगढ़, झारखंड श्रमिक संघ) 

पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन की सरलता, सादगी और उनकी विचारधारा झारखंडियों के हृदय में हमेशा बसी रहेगी। राज्य और राज्यवासियों के लिए उनका संघर्ष सभी के लिए प्रेरणादायी है। उनका निधन राज्य के लिए बड़ी क्षति है। भगवान शोकाकुल परिजनों को दु:ख सहन करने की शक्ति दें।  – योगेश दांगी (उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडलीय प्रभारी, ओबीसी मोर्चा, भाजपा)

 

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