रांची: आजसू पार्टी के केंद्रीय महासचिव सह पूर्व विधायक डॉ. लम्बोदर महतो ने बोकारो जिले के डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन ट्रस्ट (डीएमएफटी) फंड में घोटाले का आरोप लगाते हुए सीबीआई जांच कराने की मांग की है। आजसू पार्टी मुख्यालय में गुरुवार को आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने आरोप लगाया कि पूरे राज्य में डीएमएफटी फंड में भारी घोटाला हुआ है।
डॉ. लम्बोदर ने कहा कि झारखंड को जुलाई के अंत तक 16,474 करोड़ रुपयों की राशि डीएमएफटी फंड के रूप में प्राप्त हुई, जो जिलों में खनन के एवज में केंद्र द्वारा आवंटित किया जाता है। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि इस फंड की जिलों में खुलेआम बंदरबांट और लूट का खेल बदस्तूर जारी है। एक तरफ हेमंत सरकार खनिज रॉयल्टी नहीं मिलने का रोना रोती है, वहीं उसकी नाक के नीचे डीएमएफटी फंड की लूट जारी है।
उन्होंने कहा कि सिर्फ बोकारो जिले में डीएमएफटी की राशि में 631 करोड़ रुपयों से अधिक की वित्तीय गड़बड़ी हुई है। डीएमएफटी का नियम है कि केवल शासी निकाय से पारित योजनाओं को ही शामिल किया जाए और निविदा प्रक्रिया का पालन किया जाए, परंतु कई योजनाएं बिना स्वीकृति के जोड़ी गईं और कई एजेंसियों को बिना टेंडर के ही मनोनयन के आधार पर कार्य दे दिया गया। यह सीधे तौर पर वित्तीय नियमों और प्रशासनिक अधिकारों का उल्लंघन है।
डॉ. लम्बोदर महतो ने कहा कि एक स्कूल की वाल पेंटिंग में ही 4 करोड़ 79 लाख रुपये खर्च कर दिए गए। बाज़ार दर से 220 प्रतिशत अधिक दर पर टेंडर निकालकर मात्र दो वर्षों में भुगतान भी कर दिया गया। छह एजेंसियों को 17 टेंडर सौंपकर 60 करोड़ रुपये “कोचिंग प्रोजेक्ट” के नाम पर खर्च कर दिए गए, जबकि यह काम पहले से ही केंद्र और राज्य सरकार की स्किल डेवलपमेंट योजना के अंतर्गत चल रहा है। 40 हजार का डिजिटल मैप 1.25 लाख रुपये में खरीदा गया, जिसमें 10 करोड़ की गड़बड़ी हुई।
आगे उन्होंने कहा कि कि इसी तरह 260 स्कूलों में टैब वितरण की योजना अधूरी रहने के बावजूद 24 करोड़ 72 लाख रुपये का भुगतान कर दिया गया और यह भुगतान बाजार दर से तीन गुना अधिक था। 177 हाईमास्ट लाइट लगाने का वास्तविक खर्च 9 करोड़ 35 लाख था, लेकिन 18 करोड़ 75 लाख का भुगतान कर दिया गया। कई एजेंसियों से जुड़े जिला पदाधिकारी, जैसे कि परिवहन पदाधिकारी वंदना पर आरोप है कि उनके परिवार की कंपनियों को करोड़ों रुपये का भुगतान किया गया।
कहा कि एक मामले में 91 लाख रुपये नगद बरामद हुए, जिसमें डीएमएफटी सप्लायर भी मौजूद थे। सरकारी अस्पतालों में सीटी स्कैन मशीन खरीदी ही नहीं गई, फिर भी 133 करोड़ रुपये का भुगतान दिखाया गया। खेल विभाग में भी 91 लाख रुपये से अधिक की सामग्री खरीदी गई और बाद में गायब कर दी गई।
डॉ. लम्बोदर महतो ने कहा कि डीएमएफटी का उद्देश्य खनन प्रभावित क्षेत्रों के लोगों के विकास और उनके अधिकारों की पूर्ति करना है। लेकिन बोकारो जिले में इस राशि का दुरुपयोग चिन्हित पंचायतों और प्रभावित इलाकों से बाहर भी किया गया, जो न केवल नियमों का उल्लंघन है बल्कि सीधा शोषण भी है। राज्य के प्रधान महालेखाकार ने भी अपनी रिपोर्ट में इस फंड में व्यापक अनियमितताओं की पुष्टि की है।
आजसू पार्टी ने राज्य सरकार से मांग की है कि बोकारो जिले में हुई इन अनियमितताओं की सीबीआई जांच कराई जाए और पूरे राज्य में डीएमएफटी की स्थिति का विशेष ऑडिट कराया जाए। दोषी अधिकारियों और एजेंसियों पर कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित हो ताकि जनता का पैसा जनता के हित में ही उपयोग हो।
इस दौरान डीएमएफटी में विधायकों की भूमिका पर सवाल पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों का काम केवल शासी निकाय की बैठक में योजनाओं को पारित करना होता है। वास्तविक प्रक्रिया, स्वीकृति, निविदा और क्रियान्वयन पूरी तरह पदाधिकारियों के जिम्मे होती है।