भुरकुंडा कोलियरी विस्थापित प्रभावित रोड सेल समिति ने की रोड सेल अविलंब चालू करने की मांग 

• सहमति नहीं बनने पर भविष्य में संघर्ष के आसार

रामगढ़: भुरकुंडा में सोमवार को रोड सेल चालू करने की कवायद समितियों के बीच आपसी सामंजस्य नहीं बनने की वजह से ठंडी पड़ गई। रोड सेल चालू किए जाने की जानकारी पर रैयत विस्थापित मोर्चा ने सोमवार की सुबह धरना-प्रदर्शन करते हुए कोल डिपो मार्ग को जाम कर दिया। पारंपरिक हथियार और ढोल-नगाड़े के साथ पहुंचे पुरुष और महिलाओं ने सीसीएल भुरकुंडा कोलियरी प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। धरना-प्रदर्शन में झारखंडी बेरोजगार संघर्ष मोर्चा के लोग भी शामिल रहे। वहीं विधि-व्यवस्था के मद्देनजर भुरकुंडा ओपी के पुलिस अवर निरीक्षक कुणाल कुमार सदलबल मुस्तैद रहे। 

इस दौरान रैयत विस्थापित मोर्चा के प्रतिनिधियों ने बताया कि सीसीएल प्रबंधन बिना सहमति बने लोडिंग कार्य शुरू कर रोड सेल चालू करने जा रही थी। मोर्चा की ओर से कहा गया कि बिना हिस्सेदारी तय किए रोड सेल चालू नहीं करने दिया जाएगा। अनदेखी किए जाने पर मोर्चा अपने अधिकार के लिए आर-पार की लड़ाई लड़ने को बाध्य होगा।

वहीं काफी देर रही गहमागहमी के बीच भुरकुंडा परियोजना के सहायक प्रबंधक दिव्येंदु ने रैयत विस्थापित मोर्चा के प्रतिनिधियों से बातचीत की। उन्होंने लिखित आश्वासन दिया कि सभी संबंधित समितियों में सहमति बनने की बाद ही भुरकुंडा रोड सेल शुरू किया जाएगा। जब तक सामंजस्य नहीं बन जाता रोड सेल चालू नहीं किया जाएगा। उनके लिखित आश्वासन के बाद आंदोलन स्थगित कर दिया गया।

वहीं दूसरी ओर लोकल सेल चालू नहीं होने से नाराज़ भुरकुंडा विस्थापित प्रभावित रोड सेल समिति ने छठ मंदिर के निकट बलकुदरा माइंस की सड़क को जाम कर दिया। काफी संख्या में महिला और पुरुष सड़क पर बैठ रोड सेल अविलंब चालू करने की मांग करने लगे।

मामले की जानकारी पर भुरकुंडा परियोजना पदाधिकारी कुमार राकेश सत्यार्थी और अन्य अधिकारी पहुंचे। जहां उन्होंने दो दिनों के अंदर भुरकुंडा रोड सेल के संबंध में उचित पहल करने का आश्वासन दिया। जिसके बाद धरना-प्रदर्शन स्थगित करते हुए जाम हटा लिया गया। 

बताते चलें कि एक अरसे से बंद भुरकुंडा रोड सेल को पुनः शुरू करने की कवायद जारी है। तकरीबन डेढ़ वर्ष पूर्व  रोड सेल में हिस्सेदारी और संचालन में भागीदारी को लेकर पांच-छह गुट ताल ठोंक रहे थे। इधर, अधिकांश गुटों में हिस्सेदारी पर सहमति बनी दिख रही है। जबकि रैयत विस्थापित मोर्चा और झारखंडी बेरोजगार संघर्ष मोर्चा के लोग हिस्सेदारी की मांग पर अड़े हुए हैं। जानकार बताते हैं कि बिना सहमति रोड सेल शुरू करने पर संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। जो प्रबंधन के लिए परेशानी और फजीहत की वजह बन सकती है। 

By Admin

error: Content is protected !!