रामगढ़: भुरकुंडा में रोड सेल चालू करने की कवायद फिर एक बार ठंडी पड़ती दिख रही है। सेल में हिस्सेदारी और संचालन को लेकर अबतक समितियों के बीच समन्वय नहीं बन सका है। वहीं 1500 टन कोयला डीओ की अवधि बुधवार को समाप्त हो गई है और कोयले का उठाव नहीं किया जा सका है।
जानकारी के अनुसार इससे पहले भी भुरकुंडा रोड सेल के चालू न होने की सूरत में दो दफा कोयला डीओ की अवधि समाप्त हो चुकी है। जिससे सीसीएल को लाखों रुपये का नुकसान भी उठाना पड़ा। इधर, तीसरी बार डीओ की अवधि समाप्त हो गई है। रोड सेल के नाम पर प्रबंधन के अधिकारी भी खीझे हुए से दिख रहे हैं। दूसरी ओर रोड सेल में हिस्सेदारी और संचालन का विवाद सुलझता नहीं दिख रहा है। फिलहाल समितियों में समन्वय और आपसी सहमति नहीं बन सकी है। हालांकि समितियों से जुड़े लोग आपस में ही सामूहिक मंथन करते देखे जा रहे हैं।
प्रबंधन के एक अधिकारी से दूरभाष पर पर बताया कि यहां तीसरी बार कोयला डीओ की अवधि समाप्त हुई है। इससे पूर्व 15 हजार टन कोयले का उठाव नहीं हो सका था। कंपनी को तकरीबन 85 लाख का नुकसान उठाना पड़ा था। उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों के रोजगार के लिए प्रबंधन ने अपनी ओर से हर संभव प्रयास करके देख लिया। समितियां ही आपसी समन्वय नहीं बना पा रही हैं। ऐसे में रोड सेल चालू करना मुमकिन नहीं लग रहा है।
वहीं रोड सेल स्थानीय लोगों के बीच भी चर्चा का केंद्र बना हुआ है। जहां क्षेत्र का गरीब मजदूर भुरकुंडा रोड सेल में अपनी रोजी-रोटी की उम्मीद लगाए बैठा है। वहीं क्षेत्र के कई बेरोजगार युवा भी गांव-घर के पास ही रोजगार के सपने संजो रहे हैं। यह समितियों के कथित अगुवाओं का गरीबों-बेरोजगारों के प्रति अगाध प्रेम है या फिर व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाएं, जो भुरकुंडा रोड सेल की राह में रोड़ा बनी हुई हैं। बहरहाल, रोड सेल की आड़ में होनेवाला “असल खेल” भी कोयलांचल में किसी से छिपा नहीं है। हालिया दिनों में इलाके के दो रोड सेल में सीबीआई की हुई कार्रवाई ने भी काफी कुछ उजागर कर दिया है।
| पहले हिस्सेदारी को लेकर धरना प्रदर्शन, अब बात नयी सेल संचालन समिति पर अटकी
भुरकुंडा रोड सेल में हिस्सेदारी को लेकर बीते वर्ष आधा दर्जन से ज्यादा समितियां ताल ठोकती दिख रही थीं। धरना-प्रदर्शन के साथ बैठक और वार्ता का भी दौर भी चला। प्रबंधन की ओर से समितियों के बीच आपसी समन्वय बनाने की बात कही गई। काफी जुगत भिड़ाने के बाद अधिकांश समितियों में समन्वय बन भी गया। इधर, 13 अक्टूबर को पुनः भुरकुंडा रोड सेल चालू करने का प्रयास हुआ। लेकिन दो समितियों ने धरना-प्रदर्शन करते हुए असहमति जता दी और रोड सेल चालू नहीं होने दिया। दो दिन बाद मामले को लेकर भुरकुंडा ओपी में पुलिस, प्रबंधन और समितियों के बीच वार्ता हुई। जिसमें एक पक्ष के लोग नयी सेल संचालन समिति का गठन करने की मांग पर अड़ गए। वार्ता का निष्कर्ष निकला कि समितियां आपस में समन्वय बनाएं। बात अब भी समन्वय पर अटकी है और फिलहाल “बीरबल की खिचड़ी” पक रही है। |
