रामगढ़: सर्दी का मौसम आ गया है। आनेवाले दिनों में तापमान गिरने के साथ ठंड बढ़ती जाएगी। कड़ाके की ठंड स्वास्थ्य संबंधित परेशानियां खड़ी कर सकती है। सर्दी, जुकाम, खांसी से लेकर कई अन्य बिमारियां हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं। ऐसे में सजग और सचेत रहना बेहद जरूरी है। विशेषकर बच्चों, बुजुर्गों और रोगियों का ख्याल जरूर रखना चाहिए। अपनों का ध्यान रखें और लापरवाही से बचें। साथ ही घरों में पड़े पुराने गर्म कपड़े पास-पड़ोस में किसी जरूरतमंद को जरूर दें। जिंससे ठंड में उनका बचाव भी हो सके। इसके अलावा अत्यधिक तनाव और चिंता से बचने का प्रयास करें। सजगता और सतर्कता से ही विषम परिस्थितियों से बचा जा सकता है। बढ़ती ठंड और आपकी सेहत के मद्देनजर अनुभवी चिकित्सकों ने आपके लिए “खबरसेल” को जरूरी परामर्श दिए है। जिनपर अमल कर सर्दियों में स्वास्थ्य संबंधित परेशानियों से बचा जा सकता है।
श्वांस संबंधित बीमारियों से ग्रसित लोग बरतें पूरी सावधानी
सीसीएल अस्पताल भुरकुंडा के उप-चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर चंदन बताते हैं कि कोयलांचल में श्वांस संबंधित रोग, शुगर (मधुमेह) और हाई ब्लड प्रेशर ( उच्च रक्तचाप) के मरीज अधिक है। जिन पर बढ़ती ठंड का दुष्प्रभाव पड़ सकता है। ऐसे में पूरी सावधानी और सजगता बरतना बेहद जरूरी है। यदि किसी दवा का सेवन कर रहे हों, तो टाइम पर दवा जरूर लें और बिना डॉक्टर से परामर्श लिए डोज बीच में बंद न करें। उन्होंने कहा कि सर्दी में दिन की शुरुआत गर्म पानी से करना चाहिए। गर्म पानी में शहद मिलाकर पीना फायदेमंद है। मधुमेह के रोगी शहद की जगह ताजे नींबू का रस डालकर पिएं तो बेहतर रहेगा। सुबह खाली पेट चाय पीने से बिल्कुल भी परहेज करना चाहिए। नाश्ते के बाद चाय पीना बेहतर है। सुबह धूप खिलने से पहले टहलने से बचना चाहिए। वहीं उन्होंने कहा कि कोयले की खदानों और धूल-गर्द में काम करने वाले लोगों को सूती कपड़े का मास्क लगाना चाहिए, विशेषकर उन लोगों को जिन्हें श्वांस संबंधित समस्या या फिर धूल-गर्द से किसी प्रकार की एलर्जी है। सांस फूलने की समस्या पर चिकित्सक की सलाह से डेरीफाइलीन की टैबलेट लेना बेहतर विकल्प है। घरेलू नुस्खे के तौर पर शहद, काली मिर्च का पाउडर, काला नमक या सेंधा नमक के साथ लेना सर्दियों में फायदेमंद है।
गर्भवती महिलाओं और शिशुओं को ठंड से बचाएं, सुबह की धूप जरूरी
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पतरातू में पदस्थापित डॉक्टर पल्लवी झा बतातीं है कि सर्दियों में गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं का ख्याल रखना चाहिए। महिलाओं को गुनगुना पानी ही पीना चाहिए। नहाने के लिए अधिक ठंडे या अधिक गर्म पानी का इस्तेमाल नहीं करें। पानी सामान्य शारीरिक तापमान के अनुसार उपयुक्त होना चाहिए। इससे साथ ही सरसों के तेल से नियमित मालिश जरूर करना चाहिए। सिर, कान, गला, पैर ढंके हुए रहें यह सुनिश्चित करना चाहिए। सुबह की धूप जरूर लेनी चाहिए। खुले आसमान के नीचे और हवादार जगहों पर खड़े रहने से बचना चाहिए। पूरे मौसम दूध के साथ च्यवनप्राश का नियमित सेवन काफी फायदेमंद है। ठंड लगने पर दूध में हल्दी डालकर सेवन करें। डॉक्टर की सलाह पर सेट्रीजिन टैबलेट भी लाभकारी है। इसके अलावा शिशुओं के लिए गर्म और मुलायम कपड़ों का इस्तेमाल करना चाहिए। कपड़े पूरी तरह सूखे हो यह जरूर सुनिश्चित करना चाहिए।
कोयले का चूल्हा बंद कमरे में हानिकारक, रूम हीटर का करें समझदारी से उपयोग
जिंदल स्टील पतरातू के डॉक्टर अभिषेक रंजन बताते हैं कि सर्दी के मौसम में स्वास्थ्य का अधिक ख्याल रखना चाहिए। शरीर को ऊनी कपड़ों से गर्म रखना चाहिए। समय पर भोजन जरूर करें। ठंड के दौरान अधिक समय तक खाली पेट बाहर घूमने से बचें। घर में रूम हीटर के पास अधिक समय तक नहीं बैठें। रूम हीटर की सीधी गर्म हवा में सांस लेने से सेहत पर दुष्प्रभाव पड़ सकते हैं। बंद कमरों में कोयले का चूल्हा कतई न रखें, यह हानिकारक है। उन्होंने कहा कि कामकाजी लोग घर से बाहर शरीर को गर्म कपड़ों से ढंक कर रखें। गर्म या सामान्य पानी पिएं और हवादार जगहों पर मास्क का उपयोग करें। स्वास्थ्य संबंधी परेशानी झेलते रोगी दवा के सेवन में किसी प्रकार की कोताही न बरतें। परेशानी बढ़ने पर चिकित्सक की सलाह जरूर लें। शुगर और बीपी के मरीज नियमित रूप से जांच अवश्य कराएं।
पालतू पशुओं की करें सही देखभाल, परेशानी से बचें
भुरकुंडा क्षेत्र के पशु चिकित्सक डॉक्टर पंकज बताते हैं कि ठंड में मवेशियों के रहने का स्थान वेंटिलेटेड हो और अत्यधिक खुली और हवादार न हो इसका ध्यान रखना चाहिए। हवा को रोकने के लिए लगाए जानेवाले बोरे को नियमित रूप से बदलना भी चाहिए। जिससे उनमें नमी न रहे और किटाणु न पनपे। इसके अलावा मवेशियों को पीने के लिए ताजा पानी देना चाहिए और संभव हो तो गुनगुना पानी देना बेहतर होगा। वहीं पानी में गुड़ मिलाकर देना मवेशियों के लिए फायदेमंद रहेगा। चारे में सरसों और मूंगफली की खल्ली, चोकर अवश्य दिया जाना चाहिए। बरसीम घास और राई घास मवेशियों को ठंड के प्रकोप से बचाने में बेहद कारगर हो सकती है। तीन महीने के अंतराल पर मवेशियों को दी जानेवाली कृमि मुक्ति की दवा भी जरूर देनी चाहिए। वहीं उन्होंने पालतू कुत्तों के संदर्भ में बताया कि ठंड के दिनों में पार्वो वायरस का प्रभाव पालतू कुत्तों पर बढ़ जाता है। इसके लिए कुत्ते का वैक्सीनेशन जरूरी है। ठंड के दिनों में कुत्तों में उल्टी करने की समस्या आम है। यह सामान्य रूप से ठीक भी हो जाती है। समस्या बढ़ने पर पशु चिकित्सक से परामर्श लेना बेहतर है।
