सावन में सजता है भगवान शिव का दरबार
‘बोल बम‘ के नारे लगाते देवघर में उमड़ते हैं लाखों शिवभक्त
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झारखंड : सावन के महीने में बाबा बैधनाथ की नगरी ‘देवघर’ का स्वरूप अलौकिक हो जाता है। केसरिया वस्त्रों में श्रद्धालुओं से भरा-पूरा और हरा-भरा ‘देवघर’ बसंत ऋतु के खूबसूरत पलाश के वृक्ष समान प्रतीत होता । ‘बोल बम’ के नारे के साथ राज्य और देश के कोने-कोने से बाबा धाम पहुंचते शिवभक्त बाबा बैधनाथ पर जल चढ़ाकर धन्य होते हैं। झारखंड के देवघर जिला में सनातनी आस्था का बड़ा और विश्वप्रसिद्ध केंद्र है सिद्धपीठ बाबा बैधनाथ धाम।
कांवरिये सुल्तानगंज में गंगा नदी से कांवर में जल लेकर लगभग 105 किलोमीटर का कठिन सफर पैदल पूरा कर बाबा बैधनाथ के मंदिर में कामना लिंग पर जल चढ़ाते हैं। पैदल यात्रा के दौरान जल का पात्र पूरे रास्ते जमीन से न सटे इसका ध्यान रखा जाता है।
पूरे रास्ते भोलेनाथ के भक्तों की अटूट आस्था देखते ही बनती है। जगह-जगह शिवभक्त भक्ति में रमे दिखते है। पूरे सावन माह में यहां मेला लगा रहता है। वैसे पूरे वर्ष श्रद्धालु यहां पूजा करने पहुंचते रहते हैं। यहां मुंडन, यज्ञोपवीत और विवाह आदि संस्कार पूरे करने लोग देश के दूर दराज के इलाकों से पहुंचते हैं। मान्यता है कि बाबा बैधनाथ सारे कष्ट दूर कर भक्तो की मनोकामना पूरी करते हैं।
मुख्य मंदिर के आसपास और भी मंदिर हैं। वहीं यहां से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर जरमुंडी के निकट शिव के एक स्वरूप बाबा वासुकीनाथ का मंदिर है। मंदिर परिसर में कई और मंदिर है।
वहीं देवघर से 16 किलोमीटर दुमका रोड पर त्रिकूट पर्वत भी लोगों को आकर्षित करता है। हरे-भरे पहाड़ का प्राकृतिक सौंदर्य और खूबसूरत झरने काफी रोमांचित करते हैं। देवघर का नंदन पर्वत और तपोवन भी रमणीय स्थल है। देवघर सड़क, रेल और हवाई मार्ग से पहुंचा जा सकता है। यह रांची से 232, पटना से 281 और कोलकाता से 373 किलोमीटर की दूरी पर है।