गाजे-बाजे के साथ निकली भव्य कलश यात्रा

रामगढ़: शहर के झंडा चौक स्थित माता वैष्णों देवी मंदिर का 34वां वार्षिकोत्सव सोमवार को भव्य कलश यात्रा के साथ आरंभ हुआ। कलश यात्रा के दौरान पूरा शहर जय माता दी के जयकारे से गूंजता रहा। कलश यात्रा में सैकड़ों श्रद्धालु महिलाएं लाल चुनरी ओढ़े सिर पर कलश लेकर चल रही थी। कलश यात्रा मंदिर परिसर से निकाली गई, जो शहर के झंडा चौक, गांधी चौक, मेन रोड, सुभाष चौक, शिवाजी रोड, लोहार टोला होते हुए चट्टी बाजार स्थित श्री सत्यनारायण मंदिर में कलश में जल भरकर वापस माता वैष्णों देवी मंदिर पहुंची। कलश यात्रा में सुसज्जित वाहन पर माता का विशाल चित्र रखा गया था। इसके पीछे नव दुर्गा जागरण मंडली रामगढ़ के कलाकार भजन गायक राजू कैंथ, प्रीति पांडे व शालू विश्वकर्मा ने सांची जोतो वाली माता तेरी जय हो, गनपत तेरा साथ है हमारा तुम्हारा, रामगढ़ वाली मंईया तेरी शान निराली, मंईया की कृपा जिसपे हो जाय मौज उड़ाए आदि भजन गाते हुए अपनी पूरी टीम के साथ चल रहे थे।

नगर भ्रमण के दौरान शिवाजी रोड स्थित गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी के सदस्यों ने कलश यात्रा का स्वागत किया। कलश यात्रा के आगे शतचंडी यज्ञ के मुख्य यजमान रवि खोसला व उनकी पत्नी रीतु खोसला साथ-साथ चल रहे थे। इस अवसर पर मंदिर की संचालक संस्था पंजाबी हिन्दू बिरादरी व माता वैष्णों देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष सुरत चन्द्र वासुदेव, महासचिव महेश मारवाह, उपाध्यक्ष मनजीत साहनी, सहसचिव नरेश चन्द्र मारवाह, कोषाध्यक्ष सुशील खोसला, हेमेंद्र सौंधी, जेके शर्मा, सुरेन्द्र सोबती, राजीव चड्डा, बलवंत राय मारवाह, रमण मेहरा, विश्वनाथ अरोड़ा, संजीव चड्डा, मनीष मारवाह, विशाल वासुदेव, पवन मारवाह, संजीव धमीजा, हरिओम भसीन, प्रवीण शर्मा सहित बिरादरी के सभी सदस्यों के अलावे श्रद्धालु शामिल थे।

बताया जाता है कि आज से 34 वर्ष पूर्व स्थानीय झंडा चौक स्थित माता वैष्णों देवी मंदिर में माता की भव्य प्रतिमा स्थापित की गई थी। लोगों का कहना है कि आज से 34 वर्ष पूर्व काफी आश्चर्यजनक तरीके से माता की प्रतिमा स्थापित हुई थी। लोग बताते हैं कि प्रतिमा स्थापना के वक्त काफी संख्या में लोग प्रतिमा को उठाकर नियत स्थान पर बैठा रहे थे, लेकिन प्रतिमा को लोग उठा नहीं पाए। इसके बाद काशी व अन्य स्थान से आए पंडितों ने काफी अनुष्ठान व धार्मिक क्रियाएं की, इसके बाद एक तेज आवाज हुई और धरती में कंपन हुआ। इसी के साथ प्रतिमा नियत स्थान पर स्थापित हो सकी। आवाज इतनी तेज थी कि इसकी आवाज पूरे रामगढ़ वासियों ने सुनी। रामगढ़ के लोग इसकी पुष्टि भी करते हैं, इसके बाद प्रत्येक वर्ष प्रतिमा स्थापना की वर्षगांठ मनाई जाती है। वर्ष में तीन बार भंडारे का आयोजन ट्रस्ट द्वारा किया जाता है। मंदिर के गुंबद को 30 फीट तक सोने से मढ़ा गया है। मंदिर के ऊपर सोने का छत्र बनाया गया है। तीनों भंडारे में लोगों की अपार भीड़ होती है।

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