भारत की सांस्कृतिक विरासत को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए प्रयत्नशील है विद्यार्थी परिषद – पद्मश्री अशोक भगत
रांंची: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के 75 वर्ष पूरे होने पर झारखंड प्रदेश संगठन के द्वारा हरमू रोड स्थित स्वागतम बैंक्वेट हॉल में अमृत महोत्सव समारोह का आयोजन किया गया। जिसमे झारखंड के 75 वर्षों के संगठन के साथ कार्य करने वाले कार्यकर्ताओं का समागम हुआ। समारोह में आए हुए सभी पुरातन कार्यकर्ताओं को सम्मानित किया गया।
अभाविप के अमृत महोत्सव समारोह के मुख्य अतिथि पद्मश्री अशोक भगत ने कहा की गत वर्ष देश ने स्वाधीनता का अमृत वर्ष मनाया है, तो विश्व का सबसे बड़ा छात्र संगठन अभी अपने स्थापना का 75वीं वर्षगांठ पूरी कर अमृतकाल में पहुंच गया है। स्वाधीनता के बाद राष्ट्रीय पुर्ननिर्माण के व्यापक सन्दर्भ में अभाविप की स्थापना 09 जुलाई 1949 हुई। एक विद्यार्थी संगठन के तौर पर अभाविप ने वैचारिक, रचनात्मक, शैक्षिक परिवार की कल्पना को मूर्त रूप प्रदान किया है। भारत की सांस्कृतिक विरासत को अक्षुण्ण बनाए रखने में विद्यार्थी परिषद सतत प्रयत्नशील है।
वहीं राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री प्रफुल्ल आकांत ने कहा कि शिक्षा क्षेत्र में व्यवस्था परिवर्तन, गुणवत्ता, राष्ट्रीयता, सहभागिता जैसे कार्य करते हुए परिषद ने युवा शक्ति के मन में निरंतर राष्ट्र-प्रथम और राष्ट्र-गौरव के भाव का संचार किया है। दलगत राजनीति से दूर रहकर छात्र-शक्ति को राष्ट्र-शक्ति मानते हुए उसे समाज का ऊर्जावान सृजनशील समूह के रूप में राष्ट्रीय पुनर्निर्माण में सक्रिय करना, अभाविप की अनूठी विशेषता है। परिषद की यह मान्यता है कि छात्र कल का नहीं अपितु आज का नागरिक है। छात्र केवल शैक्षिक गतिविधियों का अंग ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण राष्ट्र का एक जिम्मेदार नागरिक है और छात्र-शक्ति समस्या नहीं समाधान है।
राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल ने कहा की अभाविप वर्ष भर सक्रिय रहने वाला देशव्यापी संगठन है। विभिन्न प्रकार की रचनात्मक गतिविधियों के माध्यम से परिषद छात्रों की विशिष्ट प्रतिभा व भूमिका को विकसित कर रहा है। सामाजिक संवेदना से ओतप्रोत छात्र शक्ति को समाज परिवर्तन के लिए उन्मुख करने हेतु परिषद ने विविध आयामों का निर्माण किया है। देश की एकता, अखंडता एकात्मता, राष्ट्रीय सुरक्षा, सामाजिक समरसता नारी सशक्तिकरण जैसे मुद्दों के संदर्भ में अभाविप द्वारा विद्यार्थियों के बीच संवेदना जागृत करने का कार्य अतुलनीय है।
अपने संबोधन में अभाविप की पूर्व राष्ट्रीय मंत्री डॉ. आशा लकड़ा ने कहा कि 75 साल की यात्रा में अपने ध्येयमार्ग पर अडिग अभाविप ने व्यक्ति निर्माण की अनवरत प्रक्रिया से समाज राष्ट्र जीवन के विविध क्षेत्रों को नेतृत्व प्रदान करने में भूमिका निभाई है। छात्र आंदोलन को गति देने के साथ ही अभाविप राष्ट्र के समक्ष गंभीर चुनौतियों के प्रति समाज जागरण कार्य करती रही है। बांग्लादेशी घुसपैठ, आतंकवाद, नक्सली हिंसा, राष्ट्र विरोधी व अलगाववादी गतिविधियों तथा कश्मीर जैसी नीतियाँ को लेकर सम्पूर्ण समाज में जागरण एवं छात्र-शक्ति द्वारा सार्थक आन्दोलन का नेतृत्व करके परिषद ने देशभर में विश्वसनीय स्थान बनाया है।
वहीं पूर्व प्रदेश मंत्री हरिप्रकाश लाटा ने कहा कि अभाविप ने शिक्षा-व्यवस्था में सुधार और उसके भारतीयकरण हेतु सतत प्रयास किये है। देश हित छात्र हित के लिए नीतिगत हस्तक्षेप करने के लिए परिषद ने समय-समय पर संवाद संगी आदि के माध्यम से परिणामकारी प्रयास किए हैं। अमृत वर्ष की यात्रा पूर्ण कर रहा अभाव व्यापी संगठन है और यह देशभर में राष्ट्र-प्रथम, राष्ट्रहित रानात्मक आंदोलन और नागरिक भूमिका निभाने का पर्याय बन गया है।
अवसर पर झारखंड चैंबर्स ऑफ़ कॉमर्स के पूर्व अध्यक्ष कुणाल अजमानी ने कहा कि अभाविप वर्ष भर सक्रिय रहने वाला देशव्यापी संगठन है। विभिन्न प्रकार की रचनात्मक गतिविधियों के माध्यम से परिषद छात्रों की विशिष्ट प्रतिभा व भूमिका को विकसित कर रहा है। सामाजिक संवेदना से ओतप्रोत छात्र शक्ति को समाज परिवर्तन के लिए उन्मुख करने हेतु परिषद ने विविध आयामों का निर्माण किया है। देश की एकता, अखंडता एकात्मता, राष्ट्रीय सुरक्षा, सामाजिक समरसता नारी सशक्तिकरण जैसे मुद्दों के संदर्भ में अभाविप द्वारा विद्यार्थियों के बीच संवेदना जाग्रत करने का कार्य अतुलनीय है।
कार्यक्रम में राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री गोविंदा नायक, क्षेत्रीय संगठन मंत्री निखिल रंजन, प्रांत संगठन मंत्री राजीव रंजन, राष्ट्रिय जनजातीय सह कार्य प्रमुख प्रमोद राउत, रविंदर राय, अनंत ओझा , सीपी सिंह, नमिता सिंह, अजीत सिन्हा, गोपाल पाठक, अतिश सिंह,अमित तिवारी , राजीव रंजन देव , शशांक राज, बबन बैठा, प्रताप सिंह संजय महतो, विशाल सिंह , रत्नेश त्यागी, हिमांशु दुबे, अटल पांडेय, आशुतोष सिंह, नितीश भारद्वाज, भारद्वाज शुक्ल सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता उपस्थित रहे।