सिर्फ पैसे कमाने के लिए राजनीति करता है सोरेन परिवार : बाबूलाल मरांडी
रांंची: शीबू सोरेन का परिवार सिर्फ पैसे कमाने और वसूलने के लिए राजनीति करता है। राज्य की जनता की सेवा से इनको कोई मतलब नहीं। जब परिवार के लोग फंसते है तो कहते हैं कि हमारे खिलाफ साजिश की जा रही है। यह बातें भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने सोमवार को प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही।
उन्होंने सीता सोरेन बनाम भारत सरकार के एक मुकदमे में सुप्रीम कोर्ट के सात जजों की बेंच के ऐतिहासिक निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि 2012 के राज्यसभा चुनाव के दौरान रिश्वत लेकर वोट देना का मामला सामने आया था। सीता सोरेन के ठिकानों से भारी मात्रा में पैसों के बाद सीबीआई ने जब उनपर आपराधिक मामला दर्ज किया था, तब सीता सोरेन हाईकोर्ट चली गई। जहां उन्होंने अपील किया था कि इसे आपराधिक मामला न बनाया जाए। हाईकोर्ट ने उनकी अपील को खारिज कर दिया। इसपर सीता सोरेन ने 1998 में आए एक जजमेंट को आधार बनाते हुए अपील की। वह मामला भी उनके ससुर शीबू सोरेन से संबंधित है। 1993 में हुए रिश्वतकांड का वह मामला था। नरसिम्हा राव सरकार को बचाने के लिए पैसे का जो खेल हुआ था। उस वक्त सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए निरस्त कर दिया था कि वोट अंदर दिया गया था और पैसों का लेनदेन बाहर हुआ है। इस फैसले को आधार बनाते हुए सीता सोरेन ने सुप्रीम कोर्ट में अपील किया था। जिसपर सात जजों की बेंच ने 1998 के फैसले को पटलते हुए फैसला सुनाया है। कोई भी नोट के लिए वोट देता हो या पैसे लेकर सदन में सवाल पूछता हो यह विशेषाधिकार के दायरे में नहीं आएगा क्योंकि यह अपराध है। उनके उपर आपराधिक मुकदमा ही चलेगा।
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि शीबू सोरेन परिवार पैसों के लिए ही राजनैतिक करता है। पिछले दिनों हेमंत सोरेन ने भी कहा कि “मेरे नाम पर गाड़ी नहीं है, जमीन नहीं है”, जबकि सारे लोग वहां बता रहे कि सारी संपत्ति इन्हीं की है। जब लोकपाल में उनका केस चल रहा है, तो वे हाईकोर्ट चले गये और वहां कह रहे हैं कि मामला पुराना है इसलिए मुकदमा बनता नहीं है।
बाबूलाल ने आगे कहा कि अजीबोगरीब स्थिति है, ये लोग गड़बड़ भी करते है और जब पकड़े जाते हैं तो विचित्र तर्क भी प्रस्तुत करते हैं। मुख्यमंत्री रहते हेमंत सोरेन ने खदान का आंवटन कर लिया और जब हल्ला हुआ को कहा कि हमने वापस कर दिया है। साढ़े आठ एकड़ जमीन का भी ऐसा ही मामला है। जब बेनामी संपत्ति का उन्होंने बाउंड्रीवाल किया था। इडी जब पहुंची तो रातोंरात मूल रैयतों को वापस कर दिया। बाबूलाल मरांडी ने कहा कि आज की तारीख में ये परिवार पूरी तरह से एक्सपोज हो चुका है। ये लोग एमपी-एमएलए बनकर जिस प्रकार से पैसा कमाते हैं वह कहीं और देखने को नहीं मिलता है।