रामगढ़ की सड़कों पर फर्राटेदार बाइक का चलन बढ़ा |
रफ्तार और मॉडिफाइड आवाज से लोग परेशान |
नाबालिग चालकों के अभिभावकों को भी मिले सबक |
रामगढ़: सड़क सुरक्षा माह के तहत रामगढ़ जिले में भी हाल में ही कई जागरूकता कार्यक्रम किए गये हैं। प्रशासन द्वारा समय-समय पर ट्रैफिक नियमों की जानकारी साझा कर सुरक्षित वाहन चलाने की निरंतर अपील भी की जाती है। लेकिन प्रतीत हो रहा है कि रफ्तार के शौकीनों को कायदे की बातें समझ में नहीं आ रही है और न ही उनके अभिभावकों को।
जिला के भुरकुंडा ओपी क्षेत्र के रीवर साइड में सोमवार की शाम एक मासूम बच्ची मन्नत सड़क पर ट्रिपल लोड बाइक राइडर्स के रफ्तार की बलि चढ़ गई। मासूम की मौत के जिम्मेवार अब भी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। वहीं बीते दिनों भुरकुंडा ओपी क्षेत्र के ही सौंदा डी में नाबालिग बाइक सवार ने तेज गति में वृद्ध को धक्का मार दिया था। कई दिनों तक जिंदगी और मौत के बीच झूलते हुए विगत दिनों उन्होंने दम तोड़ दिया। जिले में ऐसी न जाने कितनी छोटी-बड़ी घटनाएं सिर्फ बेतहाशा रफ्तार और ट्रैफिक नियमों की अनदेखी से होती आ रही हैं।
इन दुर्घटनाओं को होनी-अनहोनी के दायरे में रखकर भूल जाना, भविष्य में बड़ी भूल साबित होगी। हेलमेट चेकिंग की अपेक्षा तेज रफ्तार पर रोकथाम से सड़क हादसों में काफी कमी आ सकती है। कई मासूमों को असमय मौत के मुंह में जाने से बचाया जा सकता है। रफ्तार की अनदेखी से घनी आबादी और क्षेत्र की सड़कों पर हाई स्पीड और जबरदस्त पिकअप वाली बाइक्स का बढ़ता ट्रेंड आगे कई लोगों के लिए दुखों का सबब बनेगा। रफ्तार के शौकीन बाइक सवार अपनी जान तो गंवाएंगे ही, इनके कारण कई दूसरे भी दुर्घटनाओं के शिकार बनते रहेंगे।
नशेड़ी चालकों से सड़क पर बढ़ रहा खतरा
बात भुरकुंडा कोयलांचल सहित और आसपास की करें तो यहां एक अरसे से ड्रग्स और गांजे का कारोबार चल रहा है। चर्चा है कि क्षेत्र के कई युवा और किशोर ड्रग्स और गांजे के आदि हैं। जो महंगे नशे के साथ महंगे बाइक और रफ्तार का भी शौक रखते है। वहीं शराब पीकर भी लोग बाइक चलाते देखे जाते हैं। दुर्घटनाओं के कई मामलों में नशे की पुष्टि भी होती है। बावजूद इसके नशे में गाड़ी चलानेवालों की नियमित रूप से चेकिंग नहीं होती। जबकि नशे में वाहन का परिचालन सड़क दुर्घटना के मुख्य कारणों में से एक है।
रेस ट्रैक नहीं है सड़कें, उत्पात पड़ सकता है भारी
इन दिनों स्कूल-कॉलेज में पढ़ने वाले नाबालिग किशोरों ने रामगढ़ से लेकर पतरातू घाटी तक फोरलेन सड़क को रेस ट्रैक समझ रखा है। जहां महंगे बाइक से रेस लगाते, जिक-जैक फॉर्म में बाइक भगाते और स्टंट करते देखे अक्सर देखे जाते हैं। कभी बाइक पर तीन से चार सवार तक दिखते हैं तो कभी इन बाइक चालकों के पीछे कम उम्र की किशोरियां भी दिखती हैं। सड़क पर इनकी हरकतों से दूसरे वाहन चालकों और स्थानीय लोगों में नाराजगी भी देखी जा रही है। स्थिति दिनों दिन ऐसी होती जा रही है कि सड़क पर उत्पात मचाते बाइक राइडर्स की रफ्तार और बाइक की मॉडिफाइड आवाज पर लोकल पब्लिक का कहर कहीं इनपर टूट जाए तो इसमें आश्चर्य की बात नहीं होगी।
नाबालिग बाइक राइडर्स के अभिभावकों को मिले सबक
असल हैरानगी नाबालिग बच्चों के नासमझ अभिभावकों को लेकर होती है, जो जाने-अंजाने पॉवरफुल और हाई स्पीड की बाइक थमाते हैं और यह भी पता नहीं होता की उनके बच्चे कहां जाकर मौत से आंख-मिचौली का खेल खेलते हैं। बच्चों को दो से तीन लाख की हाई स्पीड बाइक थमाकर रईसी बघारते ये माता-पिता बाद में सड़क दुर्घटना पर छाती पीटते और अनहोनी पर मुआवजा-नौकरी मांगते दिखेंगे। ट्रैफिक नियम तोड़ फर्राटेदार बाइक चलानेवाले नाबालिग बच्चों के अभिभावकों को कड़ाई से कायदा समझाने की जरूरत है। रफ्तार पर हर हाल में अब अंकुश लगाने की जरूरत है।