रांची: हेमंत सरकार ने झारखंड उच्च न्यायालय की सुरक्षा व्यवस्था के साथ खिलवाड़ किया है। उच्च न्यायालय के लिए बिना टेंडर उपकरणों की खरीदारी की गई। पुलिस की स्पेशल ब्रांच की कमेटी ने 18 जून 2024 में दिए जांच रिपोर्ट में माना है कि उपकरण अंडर क्वालिटी और स्पेसीफिकेशन के अनुरूप नहीं हैं। यह बातें झारखंड भाजपा प्रदेश कार्यालय में प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने मंगलवार को प्रेसवार्ता में कही।
प्रकरण पर उन्होंने कहा कि इस सरकार में घोटाले होते रहे हैं, लेकिन अब सरकार ने उच्च न्यायालय की सुरक्षा के साथ भी समझौता किया है। कुछ समय पहले ऑडिट में उच्च न्यायालय की सुरक्षा उपकरणों को अपडेट करने को कहा गया था। बिना टेंडर और बिना जांच के हेमंत सरकार ने उपकरण खरीदे। जून 2024 में पुलिस के स्पेशल ब्रांच की हाइ पावर टेक्निकल टीम कमेटी ने उपकरणों की जांच की। कमेटी का नेतृत्व डीआईजी स्पेशल ब्रांच ने की थी। कमेटी ने जो 18 जून 2024 रिपोर्ट दिया है, वो बहुत चौंकाने वाला है। रिपोर्ट में कहा गया कि डीप सर्च माइन मेटल डिटेक्टर फॉल्स डिटेक्ट कर रहा और आईईडी, बम को डिटेक्ट करने में अक्षम है। वहीं अंडर व्हेकिल सर्च मिरर भी अंडर क्वालिटी है और स्पेसिफिकेशन को मैच नहीं करता है। एक्सप्लोसिव वैपर डिटेक्टर जो हाइ एक्सप्लोसिव का पता लगाने के लिए खरीदा गया था वो कुछ भी डिटेक्ट नहीं कर पा रहा है।
प्रतुल शाहदेव ने का कि राज्य सरकार या तो पुराने आउटडेटेड उपकरणों से काम चला रही है या फिर नये खरीदे गए रिजेक्टेड उपकरणों को लगा दिया गया है। दोनों ही सूरत में यह हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, न्यायाधीश, अधिवक्ताओं और कोर्ट आनेवाले आम लोगों की सुरक्षा व्यवस्था से खिलवाड़ है। इससे बड़े पैमाने पर कमीशनखोरी की बू आ रही है। उन्होंने कहा कि एक साल श से इस रिपोर्ट को दबाकर क्यों रखा गया और खरीद फरोख्त में दोषी अधिकारी और एजेंसी पर कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं की गई। बीते एक वर्ष से सरकार आखिर क्यों मूक दर्शक बनी रही।
प्रतुल शाहदेव ने कहा कि हम राज्य सरकार से मांग करते हैं कि मामले में दोषी अधिकारियों और एजेंसी पर कानूनी कार्रवाई करें और अविलंब उच्च न्यायालय की सुरक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करे।