रांची: भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्यालय में रविवार को सूर्या हांसदा की मौत के संदर्भ में प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया गया। जिसमें पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सह पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा कि सूर्या हांसदा चार बार चुनाव लड़े थे। वे राजनैतिक और सामाजिक व्यक्ति थे। इसके साथ ही उस क्षेत्र में हो रहे कोयला, बालू, पत्थर और अन्य संसाधनों की लूट और पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों द्वारा आदिवासियों पर किए जा रहे अत्याचार का मुखर होकर विरोध और संघर्ष करते थे। वे माफियाओं और भ्रष्ट अफसरों के लिए कांटा बने हुए थे। उन्हें समाप्त करने के लिए साजिश रची जा रही थी। 

उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा की अध्यक्षता में भाजपा की जांच समिति ने सूर्या हांसदा की मौत के मामले में पाया कि गोड्डा में साजिश के तहत पुलिसिया कार्रवाई बताकर सूर्या हांसदा की हत्या की गई है। 11 जून को गोड्डा में झामुमो से जुड़ा एक व्यक्ति भरी सभा में धमकी भरी बात कहता है और अगले दिन सूर्या हांसदा पर मामला दर्ज हो जाता है। 10 अगस्त 2025 को शाम के छह बजे देवघर जिले में सूर्या हांसदा को उनके रिश्तेदार के घर से गिरफ्तार किया गया।

बाबूलाल मरांडी ने कहा कि पुलिस-प्रशासन ने गिरफ्तारी को लेकर उनके परिजनों को कोई औपचारिक सूचना तक नहीं दी। वहीं गिरफ्तारी के बाद सूर्या हांसदा को देवघर में ही मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किया जाना चाहिए था। पुलिस ने किसी प्रकार की औपचारिकता पूरी करना जरूरी नहीं समझा। वहीं पुलिस द्वारा गढ़ी गई एन्काउन्टर की कहानी पूरी तरह से संदिग्ध है। गोली सूर्या हांसदा के पेट में लगी थी। जबकि शरीर बिजली के करंट जैसे झुलसने के निशान पाए गए। कथित एन्काउन्टर के बाद घटनास्थल पर न तो परिजनों और न ही पत्रकारों को जाने दिया गया। परिजन मान रहे हैं कि सूर्या हांसदा को काफी प्रताड़ित किया गया। जिससे उनकी मौत हो गई। इसके बाद मामले को एनकाउंटर का रूप दे दिया गया। यदि झारखंड सरकार में संवेदना बची है तो सीबीआई से मामले की जांच कराए। 

वहीं प्रदेश उपाध्यक्ष भानू प्रताप शाही ने कहा कि गोड्डा, पाकुड़ और साहिबगंज में अलग ही हुकूमत चल रही है। इन जिलों में जाने पर काफी कुछ बातें पता चल रही हैं। सूर्या हांसदा की मौत की जांच सीबीआई से कराई जानी चाहिए। 

 

By Admin

error: Content is protected !!