• लगभग 40 साल से अंडे बेच परिवार चला रहे थे कृष्णा राम
• अवैध निर्माण पर कार्रवाई करने निकले सुरक्षाकर्मियों ने बेवजह झोपड़ी हटाया
रामगढ़: अपनी झोपड़ीनुमा दुकान के मलबे में बची हुई बांस बल्लियों को निकालते गरीब बुजुर्ग दंपति और इस जद्दोजहद में पूरी ताकत से उनका साथ देता छह वर्षीय नाती…यह नजारा देख शायद किसी का भी कलेजा कांप उठे।जहां भुरकुंडा के अधिकांश लोग यहां तमाशबीन बने रहे मानवीय संवेदनाओं को जमींदोज होते देखते रहे।
मामला सीसीएल बरका-सयाल प्रक्षेत्र के भुरकुंडा कोलियरी का है। जहां सुरक्षा विभाग के द्वारा आनन-फानन और बिना सोचे समझे की गई कार्रवाई में बेवजह एक बुजुर्ग कृष्णा राम की झोपड़ी उजाड़ दी गई। जहां कृष्णा राम तकरीबन 40 वर्ष से अंडे बेचकर अपनी और अपने परिवार का जीविकोपार्जन करते आ रहे थे।
बताया जाता है कि कृष्णा राम की दुकान के बगल में मथुरा केसरी की झोपड़ी है। जहां वे समोसा आदि बेचते है। बीते दिनों मथुरा केशरी बरसात को देखते हुए अपनी जर्जर झोपड़ी के दायरे में निर्माण करा रहे थे। जिसकी जानकारी पर पर सुरक्षा विभाग ने काम को रूकवा दिया था। इधर पुनः मथुरा केशरी द्वारा शुक्रवार को निर्माण कार्य शुरू किया गया। जिस पर सुरक्षा विभाग पुनः पहुंचा और काम बंद करने की चेतावनी दी। जिसके बाद काम रूक गया।
शनिवार की सुबह 10 से 12 की संख्या में पहुंचे सीसीएल के सुरक्षाकर्मियों ने मथुरा केशरी की झोपड़ी ध्वस्त कर दिया। वहीं बगल के कृष्णा राम की झोपड़ी भी तोड़ डाली। हालांकि कुछेक लोगों ने हंगामें और एकतरफा कार्रवाई का आरोप लगाया गया। सुरक्षा विभाग पर मिलीभगत से क्षेत्र में सेटिंग कर अवैध निर्माण कराने का आरोप भी लगाया। यहां से झेंपते हुए सीसीएल के सुरक्षाकर्मी भुरकुंडा पीएम बाजार के बगल में हो रहे अवैध निर्माण पर पहुंचे और आधी-अधूरी कार्रवाई कर लौट गये।
इधर चर्चा है कि भुरकुंडा क्षेत्र में मिलीभगत और पैसों के बंदरबांट कर अवैध निर्माण होता आ रहा है। जिसमें स्थानीय सीसीएल प्रबंधन और सुरक्षा विभाग सहित भुरकुंडा के कई दलाल किस्म के लोगों की संलिप्तता बताई जाती है। भुरकुंडा में जमीन कब्जा और अवैध निर्माण हमेशा से अखबारों की सुर्खियों में रहता है। भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी फैल गई हैं कि कभी एलबेस्टर्स के रहें मकान दुकान आज दो से तीन मंजिला और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स की तरह हो गये है। हालात यह है कि आने वाले दिनों में यहां बड़े-बड़े मॉल खड़े हो जाएं तो भी किसी को आश्चर्य नहीं होगा। क्योंकि सीसीएल प्रबंधन और सुरक्षा विभाग की कार्यशैली से यहां सभी अच्छी तरह वाकिफ हैं। कोयला खनन से खोखली हो चुकी भुरकुंडा की जमीन भविष्य में बहुमंजिला इमारतों का बोझ कब तक झेलेगी, यह भविष्य के गर्त में है।
जानकार बताते हैं कि क्षेत्र के सीसीएल क्वार्टरों में अवैध रूप से कई लोग रह रहे हैं। ऐसे ही कई मुफ्तखोरों की जीविका अवैध निर्माण के लिए सेटिंग कराने और कमीशनखोरी से चल रही है।
पैसों वालों की सेटिंग कर दलाली खाना और गरीबों पर कार्रवाई कराना इनका पेशा बन गया है। ऐसे लोग सीसीएल के क्वार्टरों में अवैध रूप से रहकर सीसीएल की साख पर बट्टा लगा रहे हैं। वहीं सीसीएल बरका-सयाल प्रक्षेत्र में संवेदनशील पद पर कई लोग वर्षों से जमें है। जिन्हें स्थानांतरित नहीं किया जाना बड़ी मिलीभगत की ओर इशारा कर रहा है।