रामगढ़: एक तरफ पिता के परलोक गमन की असहनीय पीड़ा, तो दूसरी तरफ राज्य के प्रति जिम्मेदारियों को निभाने की चिंता। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन अपनी जिन्दगी के बेहद कठिन समय से गुजर रहे हैं। दिशोम गुरु के निधन हुए पांच दिन बीत गए हैं। दुःख और पीड़ा के बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पुत्र धर्म के साथ राजधर्म निभा रहे हैं। वे रामगढ़ जिला के नेमरा स्थित पैतृक आवास पर पिता शिबू सोरेन की अंत्येष्टि के उपरांत होनेवाले संस्कारों को संपन्न करा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री के दायित्व को भी गंभीरता से निभा रहे हैं।
मुख्यमंत्री राज्यहित से जुड़े विषयों और सरकारी कामकाज को बेहतर तरीके से निभाने का प्रयास कर रहे हैं। जरूरी संचिकाओं का निष्पादन करने के साथ सभी वरीय पदाधिकारियों के साथ नियमित संवाद बनाए हुए हैं। सरकार की गतिविधियों की निरंतर जानकारी लेने के साथ-साथ जरूरी निर्देश भी दे रहे हैं। उन्होंने वरीय अधिकारियों से यह भी कहा है कि वे उन्हें हर पल अद्यतन सूचनाओं से अवगत कराते रहें तथा आवश्यकतानुसार निर्देश प्राप्त करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दिशोम गुरु के निधन के बाद दुःख और मुसीबत की घड़ी में जिस तरह राज्य की जनता मेरे पूरे परिवार के साथ खड़ी रही, उसी से मुझे यह हिम्मत मिली कि मैं इन कठिन परिस्थितियों में भी इस राज्य के प्रति अपने दायित्वों को निभा सकूं।