भूमि विवाद निवारण हेतू ठोस नीति बनाने का आग्रह किया
रांची: झारखंड राज्य समन्वय समिति के सदस्य फागु बेसरा ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भेंट कर भूमि विवाद निवारण हेतु ठोस नीति एवं नियम निर्धारण हेतू एक स्मार पत्र सौंपा।
फागु बेसरा ने स्मार पत्र में लिखा है कि भूमि विवाद से संबंधित हेतु ठोस नीति एवं नियम का निर्धारण हो भूमि विवाद एकीकृत बिहार राज पूर्व काल से ही झारखंड राज्य में मुकदमेबाजी एवं अशांति की स्रोत रही है। भूमि से संबंध मामलों में सदैव ही सरकार प्रशासनिक तंत्र एवं न्यायालय को परेशान किया है। आम जनता का भूमि से अत्यंत भावनात्मक लगाव रहा है।
दाखिल खारिज, उत्तराधिकार, बटवारा, एवं स्वामित्व कानून छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम 1908,संथाल परगना भू-धारण अधिनियम 1949, बिहार, झारखंड भूमि सुधार अधिनियम 1950, विभिन्न भूमि अधिनियमों एवं राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग राज्य सरकार के दिशा निर्देश निर्गत परिपत्र का अनुपालन नहीं हो रहा है। समुचित एवं अंतनिर्हित भू-अभिलेख, भू राजस्व प्रशासन का महत्वपूर्ण अंग है। जिनके माध्यम से रैयती, काश्तकारों,अभिधारियों के भूमि अधिकार की व्याख्या होती है तथा अघतन भूमि अधिकार प्रदर्शित होते हैं।
फागु बेसरा ने भूमि सुधार संबंधित निम्न बिंदुवार मुद्दों पर निर्देशों के अनुपालन हेतु अंचल अधिकारियों के द्वारा सुनिश्चित कराने का आग्रह किया है :-
1) ऑनलाइन दाखिल खारिज की प्रक्रिया सरल एवं समय सीमा का निर्धारण।
2) दाखिल खारिज एवं भूमि अभिलेख का अदयतीकरण।
3) संपत्ति, भू -संपत्ति में स्वामित्व का प्रकार एवं क्षेत्र।
4) संयुक्त परिवार भू-संपत्ति की अवधारणा।
5) जमींदारी उन्मूलन के पश्चात उत्तराधिकारी, बटवारा हस्तांतरण या विक्रय दस्तावेज के अधिकार पर दाखिल खारिज पंजो ।। में सुधार।
6) उत्तराधिकारी के आधार पर हित अर्जन का प्रावधान एवं दाखिल खारिज की प्रक्रिया।
7) जोत भूमि के बंटवारा की प्रक्रिया एवं निबंधन का प्रावधान।
8) अधिशेष अर्जित भूमि, गैरमजरूआ भूमि की बंदोबस्ती, भूमि दान प्रमाण पत्र दिए गए भूमि,वासिगत पर्चा द्वारा प्रदत्त भूमि का रैयती मन्यता।
9) जमाबंदी पंजी अंतनिर्हित किए जाने का तरीका एवं क्षतिग्रस्त पंजी का निर्माण एवं संधारण। बिहार, झारखंड भूमि सुधार अधिनियम, धारा 34 के तहत भू-आयोग का गठन, उठाए गए मुद्दों का समाधान करते हुए ठोस नीति निर्धारण, भूमि विवाद निवारण हेतु बिहार राज्य के तर्ज पर झारखंड राज्य भूमि विवाद निवारण कानून बनाया जाए, ताकि भूमि विवाद का मामला को सरल तरीके से समाधान किया जा सके।