पदमश्री मुकुंद नायक दर्शनशास्त्र में मानद उपाधि से हुए सम्मानित

हजारीबाग। आइसेक्ट विश्वविद्यालय के मुख्य कैंपस में सोमवार को प्रथम दिक्षांत समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें बतौर मुख्य अतिथि सूबे के राज्य रमेश बैस शामिल हुए।

राज्यपाल ने समारोह में स्नातक और स्नातकोत्तर के कुल 148 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की। जबकि 56 मेधावियों को गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया। वहीं दिक्षांत समारोह में पद्मश्री मुकुंद नायक को दर्शनशास्त्र में मानद उपाधि से सम्मानित किया गया।

अपने संबोधन में राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि राज्य के विद्यार्थी हर क्षेत्र में दक्ष और  प्रतिभावान हैं। जरूरत है प्रतिभाओं को संवारने और सही मार्गदर्शन देने की। जिससे वे अपना और अपने राज्य का मान बढ़ायें। जिसके पास विद्या और ज्ञान है वह कठिन से कठिन परिस्थिति में भी नदी की भांति अपना मार्ग ढूंढ लेता है। गीता में “‘सा विद्या या विमुक्तये’ ”का वर्णन है जिसका अर्थ “शिक्षा या विद्या वही है, जो हमें बंधनों से मुक्त करे और हमारे हर पहलू का विस्तार करे।”

उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि शिक्षा सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण का एक महत्वपूर्ण जरिया है। इसके माध्यम से लोग स्वावलंबी व आत्मनिर्भर बन सकते हैं। मैं मानता हूँ कि हर शिक्षित व्यक्ति को नौकरी नहीं दी जा सकती है, लेकिन शिक्षित व्यक्ति अपने हुनर से न केवल अपने लिए आजीविका के साधन सुनिश्चित कर सकता है, बल्कि जॉब क्रिएटर भी बन सकता है और लोगों को रोजगार दे सकता है।

राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा मनुष्य को नैतिक बनाने की कला है। सीखने की लगन विकसित करें। यदि आप ऐसा करते हैं, तो आप कभी भी प्रगति करने से नहीं रुकेंगे। शिक्षा का उद्देश्य एक खाली दिमाग को खुले दिमाग में बदलना है। ज्ञान वही है जो आपके किरदार में झलकता है। शिक्षा हमारे समाज में फैली कुरीतियों और अंधविश्वास को मिटाने का भी साधन है। यह गलत रास्ते पर जाने से रोकती है। यह हमारे सोचने के दायरे को व्यापक बनाता है।

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