हजारीबाग: अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ विद्रोह के प्रतीक हूल दिवस पर आदिवासी समाज द्वारा पीडब्ल्यूडी चौक के समक्ष सिदो-कान्हू की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धा-सुमन अर्पित किया गया। अवसर पर हजारीबाग उपायुक्त नैंसी सहाय एवं हजारीबाग पुलिस अधीक्षक मनोज रत्न चौथे उपस्थित थे।

मौके पर हजारीबाग उपायुक्त नैंसी सहाय ने कहा कि देश पर सर्वस्व न्योछावर कर देनेवाले वीर शहीदों के कारण ही आज हम आजाद हैं। देशवासी उनके बलिदान को हमेशा याद करेंगे। 

वहीं आदिवासी समाज के अध्यक्ष रमेश कुमार हेम्ब्रोम ने कहा कि हूल क्रान्ति दिवस प्रत्येक वर्ष 30 जून को मनाया जाता है। भारतीय इतिहास में स्वाधीनता संग्राम की पहली लड़ाई वैसे तो सन् 1857 में मानी जाती है, किन्तु इसके पहले ही वर्तमान झारखंड राज्य के संथाल परगना में ‘संथाल हूल’ और ‘संथाल विद्रोह’ के द्वारा अंग्रेज़ों को भारी क्षति उठानी पड़ी थी। 

वहीं हूल दिवस के अवसर पर संत कोलंबा स्टेडियम में 1200 स्क्वायर फिट का रिकॉर्ड 50000 ईट के टुकड़े से जमीन पर सिदो-कान्हू की मूर्ति बनाने वाले कलाकार को सम्मानित किया गया। 

इस कार्यक्रम में मनोज टुडू, महेंद्र बेक, सुनील लकड़ा, जगन कच्छप, महेंद्र कुजूर, रतन करट्टा, फुलवा कच्छप, भौंरा, झरियो, रवि गौरव चित्रा चोपड़ा, पिपरा बेदिया हीरालाल किस्कू, ललिता सोरेन, अनीशा साहू, नियंता कृष्णा, संतोष सोरेन, प्रिंस कस्कू,अनिल टुडू, बिरसा मुंडा, सुरेश हसदा, संजय, मोती एक्का, विमल टुडू अलेक्जेंडर मरांडी, रीना सोरेन समीर मुर्मू ज्योति टुडू प्रिय हरदा सीमा कुजूर अंजु मरांडी आरती मुर्मू प्रिया सुबह टोप्पो फ़ाख़ कलको पिंकी प्रमिला मुर्मू, गीता मुर्मू, मनिता कुजूर , एंजेल,निशा कश्यप, लक्ष्मी,संगीत मुर्मू, मिरा टुडु संगीता लिंडा, हर्षिता तिर्की, अनीशा टोप्पो, मैक्सिमा सोरेन, निशा हंसदा सहित अन्य शामिल रहे। 

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