रामगढ़: सीसीएल बरकासयाल प्रक्षेत्र की कोलियरियों की बंद भूमिगत खदानों से अवैध कोयला खनन और लोहा चोरी किया जा रहा है। अवैध गोरखधंधे की जानकारी के बावजूद सीसीएल प्रबंधन इसपर रोक पाने में नाकाम दिख रही है।

सीसीएल बरकासयाल प्रक्षेत्र के बंद सौंदा ‘डी’ कोलियरी की दो भूमिगत खदान हाथीदाड़ी और बांसगढ़ा खदान से उत्पादन बंद होने के बाद सुरक्षा के दृष्टिकोण से खदान के मुहाने को दिवार बनाकर सील कर दिया गया था।

इधर, असामाजिक तत्वों ने दोनों खदानों की दिवार को ढाह दिया है और खदान में प्रवेश कर अवैध रूप से कोयला और बड़े पैमाने पर लोहा निकाल रहे है। खदान के सीलींग सपोर्ट में लगे लोहे को भी निकाला जा रहा है। ऐसे में कभी भी सीलिंग धंसने या अन्य दुर्घटना की संभावना बनती दिख रही है । चर्चा है कि लोहा और कोयला चोरी में पुरूषों के साथ महिलाएं और कम उम्र के बच्चे भी शामिल दिखते हैं। खदान में जोखिम के बीच अवैध उत्खनन और लोहा चोरी कभी भी बड़े हादसे में तबदील हो सकता है।

दूसरी ओर सौंदा ‘डी’ में जगह-जगह लगे लोहे के पोल को भी जमीन खोदकर नीचे से काटा और निकाला जा रहा है। बांसगढ़ा खदान से लेकर झोपड़ी के बीच नलकारी नदी के किनारे डैमनुमा टीले के आसपास लोहा चोरों की कारगुजारी साफ देखी जा सकती है। जगह-जगह काटे गये लोहे के ताजा और बचे हुए अवशेष देखने को मिल रहे हैं। रास्ते के अगल-बगल भी गहरा गड्ढा कर लोहा काटा जा रहा है। ऐसे में जरा सा संतुलन खोने पर व्यक्ति या मवेशी दुर्घटना के शिकार भी हो सकते हैं।

बताया जाता है कि कोयले को बोरियों में भरकर स्थानीय स्तर पर बेचा जाता है। जबकि सारा लोहा कबाड़ी को बेचा जाता। कारगुजारी में स्थानीय सहित भुरकुंडा क्षेत्र के रहनेवाले लोग शामिल हैं। यहां से बड़े-बड़े पोल और भारी-भरकम लोहे की आसानी से तस्करी आखिर कैसे हो रही है यह सीसीएल का सुरक्षा विभाग और स्थानीय पुलिस बेहतर बता सकती है।

इधर, मामले की जानकारी के बावजूद प्रबंधन उदासीन रवैय्या अपनाए हुए है। अवैध खनन और लोहा चोरों के खिलाफ ठोस पहल नहीं होने से गोरखधंधे में शामिल लोगों का मनोबल बढ़ा हुआ है। गरीबों को पैसे का लालच देकर उनकी जान जोखिम में डाल खदानों में भेजा जा रहा है। साथ ही लोहे की चोरी भी कराई जा रही है।

इस संबंध में सीसीएल बरकासयाल एरिया के सुरक्षा पदाधिकारी एन.के. सिंह से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मुहाने की दिवार क्षतिग्रस्त है। जांच-पड़ताल के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। 

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