कलयुग केवल नाम अधारा, सिमर-सिमर नर उतरहिं पारा
श्री श्री सूर्य षष्ठी महायज्ञ के तीसरे दिन हुए कई अनुष्ठान
रामगढ़: इस कलयुग में देवता भी मनुष्य जन्म लेने के लिए तरसते हैं क्योंकि सतयुग त्रेता युग, द्वापर युग और सतयुग में जहां जीव को तप से, ज्ञान से, ध्यान से ईश्वर के प्राप्ति होती है, वही कलयुग में केवल भगवान के नाम जपने से जीव को भगवान की प्राप्ति सुलभ है। श्रीमद् भागवत महापुराण को कलयुग में तत्काल मुक्ति देने वाला घोषित किया गया है। भगवान के नाम के श्रवण मात्र से प्राणी का कल्याण हो जाता है और उसकी मुक्ति हो जाती है। यह बातें भुरकुंडा में श्री श्री सूर्य षष्ठी महायज्ञ के तीसरे दिन गुरुवार को कथा वाचन करते हुए किशोरी पंडित निर्वणी दूबे ने कही। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत पुराण के महत्व में धुंधकारी प्रसंग इस बात का प्रमाण है कि जीव कितना ही पापी क्यों ना हो ,सच्चे हृदय से अगर वह ईश्वर को स्वयं को समर्पित कर दे तो मृत्यु के बाद भी उसका कल्याण निश्चित है। जब जीव के अन्य जनों के पुण्य उदय होते हैं तब उसे श्रीमद् भागवत महापुराण श्रवण करने को प्राप्त होती है इसलिए आप सभी भी श्रीमद् भागवत महापुराण को श्रवण कर कर अपने जीवन को कृतार्थ करें।

कथा वाचन से पूर्व भुरकुंडा नलकारी नदी तट के समीप चल रहे सात दिवसीय सूर्य षष्ठी महायज्ञ के तीसरे दिन वेदीपूजन, यज्ञेश्वर आवाहन प्रतिष्ठा, के साथ यज्ञ मंडप की परिक्रमा शुरू हुई। सुबह से ही बड़ी संख्या में महिला पुरुष, बच्चे यज्ञ मंडप की परिक्रमा करते हुए दिखे। दोपहर की चिलचिलाती धूप में भी श्रद्धालुओं ने मंडप परिक्रमा कर अपनी आस्था का परिचय दिया। यज्ञाचार्य पद्नाभ जी महाराज की देख रेख में पूरे विधि विधान से सभी धार्मिक अनुष्ठान संपन्न हुए। यजमान अशोक तिवारी, विनोद दुबे, गोपाल करमाली सपत्नीक शामिल हुए। आज शुक्रवार को यज्ञाचार्य द्वारा अरणिमथन अग्नि प्रतिष्ठा धार्मिक अनुष्ठान कराए जाएंगे।
