कैबिनेट द्वारा आयोग के गठन को मंजूरी देने पर बड़कागांव विधायक ने प्रेस कांफ्रेंस कर जताई खुशी
रामगढ़: झारखंड राज्य विस्थापन एवं पुनर्वास आयोग के गठन को लेकर कैबिनेट ने स्वीकृति दे दी है। यह राज्य के सभी विस्थापितों की जीत है। हमने आयोग के गठन की मांग को विधानसभा में लगातार पुरजोर तरीके से उठाया है और इसी तरह आगे भी उठाते रहेंगे। मुझे विश्वास है कि आयोग के गठन के पश्चात यहां के विस्थापन, पुनर्वास, रोजगार और मुआवजे से संबंधित समस्याओं का निदान हो सकेगा। यह बातें बड़कागांव विधायक रोशनलाल चौधरी ने बुधवार को भुरकुंडा में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कहीं।
भाजपा नेता योगेश दांगी के आवास पर आयोजित इस प्रेस वार्ता में भाजपा भुरकुंडा मंडल अध्यक्ष सतीश मोहन मिश्रा, व्यास पांडेय, संजीव कुमार बाबला, राकेश सिन्हा, अमरेश सिंह, राकेश जायसवाल, मिंटू सोनी, राजन पांडेय, संजय कुमार दांगी सहित अन्य उपस्थित रहे।
प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए बड़कागांव विधायक रोशनलाल चौधरी ने कहा कि हमने 18 मार्च 2025 को हजारीबाग जिला के पकरी बरवाडीह, केरेडारी, चट्टी-बरियातू सहित विभिन्न परियोजनाओं से प्रभावित विस्थापितों की समस्याओं को लेकर विधानसभा में ध्यानाकर्षण सूचना दी थी। उस समय उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि जब तक राज्य स्तर पर विस्थापन आयोग का गठन नहीं होगा, तब तक विस्थापितों की पीड़ा का समाधान संभव नहीं है। इसके बाद बजट सत्र के अंतिम दिन 27 मार्च 2025 को उनके गैर-सरकारी संकल्प पर विस्तृत बहस हुई। बहस के क्रम में सरकार ने विधानसभा के पटल पर यह ठोस आश्वासन दिया कि 90 दिनों के भीतर आयोग का गठन किया जाएगा, परंतु दुर्भाग्यवश 150 दिन बीत जाने के बाद भी आयोग अस्तित्व में नहीं आ सका। इसीलिए हमने एक बार फिर मॉनसून सत्र के पहले ही दिन ध्यानाकर्षण सूचना के माध्यम से सरकार का ध्यान आकर्षित कराया और विस्थापित परिवारों की पीड़ा को मजबूती से सदन में उठाया। निरंतर दबाव और विस्थापितों की अपेक्षाओं को देखते हुए अंततः राज्य मंत्रिपरिषद ने आयोग गठन की ऐतिहासिक स्वीकृति प्रदान कर दी।
विस्थापितों के लिए बड़ी राहत की उम्मीद
बड़कागांव विधायक ने कहा कि यह आयोग केवल एक संस्थागत ढांचा नहीं होगा, बल्कि यह विस्थापितों की न्याय और सम्मान की गारंटी बनेगा। उन्होंने कहा कि विस्थापितों की समस्याएं केवल जमीन छिन जाने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह उनके अस्तित्व, संस्कृति, आजीविका और आने वाली पीढ़ियों के भविष्य से जुड़ी हुई है। आयोग के गठन से एक उम्मीद जगी है कि अब पारदर्शी मुआवज़ा नीति बनेगी, जिससे हर प्रभावित परिवार को ज़मीन, घर और रोजगार का न्यायोचित अधिकार मिलेगा। पुनर्वास नीति को मज़बूत बनाया जाएगा, ताकि विस्थापितों को सुरक्षित आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य और जीवन यापन की गारंटी मिल सके। रोज़गार के अवसर सुनिश्चित होंगे, जिससे युवा पीढ़ी बेरोज़गारी और पलायन के शिकार न बने। भूमिहीन एवं आदिवासी परिवारों को उनकी परंपरागत जीवनशैली और सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान बचाने का अधिकार मिलेगा। आयोग पूरे राज्य में विभिन्न परियोजनाओं से प्रभावित क्षेत्रों का सर्वेक्षण और अध्ययन कर ठोस रिपोर्ट तैयार करेगा और समयबद्ध समाधान प्रस्तुत करेगा।
सरकार को धन्यवाद और विस्थापितों से अपील
रोशनलाल चौधरी ने राज्य सरकार को इस महत्वपूर्ण कदम के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि यह निर्णय सरकार की संवेदनशीलता को दर्शाता है। उन्होंने मुख्यमंत्री और संबंधित मंत्रियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह आयोग तभी सफल होगा जब इसमें सच्चे प्रतिनिधि, विशेषज्ञ और जमीनी अनुभव वाले लोग शामिल किए जाएंगे। वहीं उन्होंने विस्थापित से अपील करते हुए कहा कि वे इस ऐतिहासिक उपलब्धि को केवल एक घोषणा के रूप में न देखें, बल्कि इसे अपने अधिकार की जीत मानते हुए आगे भी संगठित रहकर आयोग के कार्यों पर नजर रखें।
सदन से सड़क तक गूंजती रहेगी विस्थापितों की आवाज
विधायक रोशनलाल चौधरी ने कहा कि वे विस्थापितों की आवाज़ को लगातार सदन से सड़क तक उठाते रहेंगे। उनका संकल्प है कि विस्थापितों के बिना विकास अधूरा है और जब तक प्रत्येक विस्थापित को न्याय नहीं मिलेगा, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आने वाले समय में यदि आयोग की कार्यप्रणाली में कोई ढिलाई या लापरवाही पाई गई, तो वे पुनः सदन और सड़क पर विस्थापितों की आवाज़ बुलंद करेंगे। आयोग गठन से यह उम्मीद है कि झारखंड में होने वाले नए औद्योगिक, ऊर्जा, खनन और बुनियादी ढांचे से जुड़े प्रोजेक्ट्स में अब मानव केंद्रित विकास की अवधारणा लागू होगी। विस्थापितों को केवल पीड़ित के रूप में नहीं, बल्कि विकास के साझेदार के रूप में देखा जाएगा। आयोग की रिपोर्टों और सिफारिशों के आधार पर राज्य सरकार ठोस नीतिगत निर्णय लेगा। मुझे पूर्ण विश्वास है कि आयोग के अस्तित्व में आने के बाद विस्थापन, पुनर्वास, रोजगार और मुआवज़े जैसी ज्वलंत समस्याओं का स्थायी समाधान संभव होगा।