यहां हर वर्ष परिणय सूत्र में बंधते हैं कई जोड़े

• मन्नतें मांगने दूर दराज से आते हैं लोग

रामगढ़: अनुपम प्राकृतिक सौंदर्य से लबरेज पतरातू डैम के पास मां पंचबहिनी मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। डैम के विशाल फाटक के निकट मंदिर अवस्थित है। यहां कल-कल बहते पानी के साथ मंदिर में बजती घंटियों की ध्वनि आलौकिक आनंद की अनुभूति कराती है। 

पतरातू प्रखंड के लबगा में स्थित इस मंदिर में प्रतिवर्ष दर्जनों जोड़े परिणय सूत्र में बंधते है। झारखंड के विभिन्न इलाकों सहित बिहार से भी बड़ी संख्या लोग यहां विवाह के लिए पहुंचते हैं। मान्यता है कि मंदिर में सच्चे मन से मांगी गई मन्नतें पूरी होती हैं। मंदिर में वर्ष भर श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है।

मंदिर के पुजारी शशि प्रकाश मिश्रा बताते हैं कि लंबे अरसे यहां लोग पांच शिला पिंडियों को देवी स्वरूप में पूजा करते थे। वर्ष 1965 में यहां मंदिर की स्थापना हुई और तब से विधिवत पूजा अर्चना होती आ रही है। मां पंचबहिनी मंदिर में आदिशक्ति के पांच स्वरूप मां दुर्गा, मां लक्ष्मी, मां सरस्वती, मां काली और मां संतोषी को पांच बहनों के रूप में पूजा जाता है। वहीं शीतला माता की भी विधि-विधान से पूजा अर्चना होती है। 

आगे उन्होंने कहा कि मन्नतें मांगते हुए मंदिर में पत्थर चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है। श्रद्धालु नलकारी नदी में स्नान कर पत्थर निकालते हैं और मंदिर में पूजा अर्चना कर मन्नत मांगते हुए पत्थर चढ़ाते हैं। मन्नतें पूरी होने पर पत्थर को नदी में विसर्जित कर दिया जाता है। उन्होंने बताया कि लग्न के समय यहां भीड़ ज्यादा रहती है। मंदिर में दूर दराज से लोग विवाह के लिए आते हैं। दो वर्ष पूर्व यहां पंचमुखी हनुमान मंदिर का भी निर्माण हुआ है।

बताते चलें कि झारखंड के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में शुमार मनोरम पतरातू घाटी और पतरातू डैम आनेवाले कई आस्थावान लोग मंदिर में मां पंचबहिनी का दर्शन और पूजा अर्चना भी करते हैं। राजधानी रांची से पतरातू डैम की दूरी तकरीबन 41 किलोमीटर है। 

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