हूल दिवस पर शहीदों को दी गई श्रद्धांजलि
उरीमारी (हजारीबाग): विस्थापित समिति न्यू बिरसा पोटंगा के नये ऑफिस का उद्घाटन रविवार को बिरसा परियोजना पदाधिकारी डी. शिवादास, झामुमो के केंद्रीय सदस्य सोनाराम मांझी, विस्थापित समिति न्यू बिरसा पोटंगा अध्यक्ष सूरज बेसरा के द्वारा संयुक्त रूप से फीता काट कर किया गया। इससे पूर्व पंडित के द्वारा विधिवत पूजा अर्चना की गई।
वहीं ऑफिस उद्घाटन के पश्चात हूल दिवस मनाया गया। बिरसा परियोजना पदाधिकारी डी शिवादास, झामुमो के केंद्रीय सदस्य सोनाराम मांझी, विस्थापित समिति न्यू बिरसा पोटंगा अध्यक्ष सूरज बेसरा ने अमर शहीद सिदो-कान्हू, चांद-भैरव और फूलो-झानो की तस्वीर पर माल्यार्पण करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित किया।
मौके पर बिरसा परियोजना पदाधिकारी डी. शिवादास ने कहा कि संथाल परगना का इलाका बंगाल प्रेसिडेंसी के अधीन पहाड़ियों एवं जंगलों से घिरा क्षेत्र था। इस इलाके में रहने वाले पहाड़िया, संथाल और अन्य निवासी खेती-बाड़ी करके जीवन-यापन करते थे और जमीन का किसी को राजस्व नहीं देते थे। ईस्ट इंडिया कंपनी ने राजस्व बढ़ाने के मकसद से जमींदार की फौज तैयार की जो पहाड़िया, संथाल और अन्य निवासियों से जबरन लगान वसूलने लगे। लगान देने के लिए उनलोगों को साहूकारों से कर्ज लेना पड़ता और साहूकार के भी अत्याचार का सामना करना पड़ता था। इससे लोगों में असंतोष की भावना मजबूत होती गई। सिद्धू, कान्हू, चांद और भैरव चारों भाइयों ने लोगों के असंतोष को आंदोलन में बदल दिया।
झामुमो के केंद्रीय सदस्य सोनाराम मांझी ने कहा कि जिस दिन झारखंड के आदिवासियों ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया था, उस दिन को ‘हूल क्रांति दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इस युद्ध में करीब 20 हजार आदिवासियों ने अपनी जान दे दी थी। 30 जून 1855 को सिद्धू और कान्हू के नेतृत्व में मौजूदा साहेबगंज जिले के भगनाडीह गांव से विद्रोह शुरू हुआ था।
मौके पर खान प्रबंधक राजेश प्रियदर्शी, राकेश कुमार, विस्थापित नेता संतोष कुमार सिंह, मनोज मुंडा, गणेश गंझू, विश्वनाथ मांझी, संजय करमाली, बिनोद हेम्ब्रोम, जूरा सोरेन, लेचा मांझी, पापू मांझी, पंकज हेम्ब्रोम, विजय सोरेन, प्रेम सोरेन, अजय करमाली, उप मुखिया रविन्द्र सोरेन, अजय मरांडी, अजय बेसरा, संजय सोरेन, दिनेश टुडू, महावीर मुर्मू, बिनोद सोरेन, कामेश्वर मुंडा, पप्पूलाल मांझी, लीलमुनी देवी, डोरको देवी, कपूरमुनी देवी, ममता देवी, तलमी देवी, सरिता देवी, पिंकी देवी, बुधनी देवी, क्रांति देवी, कर्मी देवी, अनीता देवी, अनीता हंसदा, पूनम देवी, विजय टुडू, बसंत मांझी, संजय हेम्ब्रोम, मनाराम टुडू, सूरज करमाली, सुनील सोरेन सहित कई लोग मौजूद थे।