बड़कागांव: डीएवी उरीमारी में स्वामी दयानंद की 200 वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई। प्रार्थना सभा में स्वामी दयानंद के चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया। विद्यालय के प्राचार्य उत्तम कुमार राॅय, शिक्षक-शिक्षिकाएं एवं छात्र-छात्राओं ने स्वामी दयानंद की तस्वीर पर श्रद्धा के पुष्प अर्पित किए।

इस अवसर पर विद्यालय के प्राचार्य उत्तम कुमार राॅय ने स्वामी दयानंद के जीवन पर प्रकाश डालते हुए उनके द्वारा समाज में फैली कुरीतियों को दूर करने के उपायों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि स्वामी जी चाहते थे कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक पूरे देश में एक ही भाषा हिंदी बोली जाए, ताकि सभी एक दूसरे की भावनाओं से अवगत हो सके और अंग्रेजों के विरुद्ध मिलकर लड़ा जा सके। उन्होंने देश की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने जातिवाद, बाल विवाह आदि कृतियों का पुरजोर खंडन किया। उन्होंने दलित उद्धार और स्त्रियों की शिक्षा के लिए आंदोलन चलाया। उन्होंने मूर्ति पूजा का खंडन किया तथा मानव मात्र के कल्याण के लिए एक सार्वभौम पूजा पद्धति अपनाने की वकालत की। स्वामी दयानंद ने वेदों के महत्व को स्थापित करते हुए कहा कि वेद सब सत्य विधाओं का पुस्तक है और वेद का पढ़ना पढ़ाना और सुना सुनाना सभी आर्यों का परम धर्म है।खबरसेल।

कार्यक्रम को सफल बनाने में विद्यालय के सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं एवं छात्र-छात्राओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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