बड़कागांव: शांति निकेतन विद्यालय बगरैया उरीमारी में शिक्षक दिवस बड़े हर्षोल्लास से मनाया गया। सर्वप्रथम विद्यालय के निदेशक नरेश करमाली, प्रधानाध्यापक दिनेश करमाली एवं शिक्षक-शिक्षिकाओं ने सर्वपल्ली डॉ राधाकृष्णन के चित्र पर माल्यार्पण कर किया गया।

मौके पर विद्यालय के निदेशक नरेश करमाली ने कहा कि मनुष्य के जीवन में ज्ञान का बहुत अधिक महत्व है। ज्ञान के माध्यम से ही मनुष्य अपने समाज तथा अन्य चीजों के बारे में जानकारी प्राप्त कर पाता है। यह ज्ञान केवल किताबी ज्ञान तक ही सीमित नहीं है, अपितु जीवन जीने का तरीका, संस्कार, मानव मूल्य, विचार करने की क्षमता तथा कठिनाइयों का सामना करने का साहस आदि भी इस ज्ञान के भीतर समाहित है। एक मानव तभी पूर्ण हो पाता है जब उसके भीतर ये गुण निहित हो। मनुष्य को ज्ञान प्राप्त करने के लिए एक माध्यम की आवश्यकता होती है, उसके जीवन में इस माध्यम का कार्य शिक्षक करता है।

प्रधानाध्यापक दिनेश करमाली ने कहा कि मानव की सबसे पहली शिक्षक उसकी माता होती है, जो एक बच्चे को चलना सिखाने से लेकर, बड़े होने तक मानव मूल्यों और संस्कार की जानकारी प्रदान करती है। माता के साथ ही पिता उसे जीवन में कैसे संघर्ष करना है तथा जीवन संघर्ष के साथ अपने परिवार का ध्यान कैसे रखना है कि शिक्षा प्रदान करता हैं। यदि ये कहा जाये कि मनुष्य के माता-पिता ही उसके पहले गुरु है, तो इसमें कोई संदेह न होगा। इसके पश्चात मनुष्य स्कूल में जाता है, जहां परंपरागत शिक्षा प्राप्त करता है। विद्यालय में परंपरागत शिक्षा के साथ-साथ जीवन में आगे चलकर काम आने वाली वास्तवविक शिक्षा का भी बोध करवाया जाता है। इस शिक्षा को एक गुरु के माध्यम से ही प्राप्त किया जा सकता है। छात्र एक गीली मिट्टी के समान होते हैं, उन्हें कुम्हार की आकार देना एक शिक्षक का ही कार्य है।

मौके पर मुख्य रूप से निदेशक नरेश‌‌‌ करमाली, प्रधानाध्यापक दिनेश करमाली, राजेन्द्र राम, पिंटू कुमार, रंजीत करमाली, बिनोद मांझी, सुशील कुमार, अर्चना कुमारी, अंजली कुमारी, पूनम सरोज किंडो, सूरज कुमार, संगीता कुमारी, सेवामुनी टुडू, सोनी कुमारी, पूनम भारती, विकास कुमार, विजय कुमार बास्के, सुमन हंसदा, भीम साव, सबिता देवी, प्रीति देवी सहित कई छात्र-छात्राएं मौजूद थे।

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