महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट की उपयोगिता पर बढ़ रहा संशय
रामगढ़: सीसीएल बरका-सयाल प्रक्षेत्र अंतर्गत भुरकुंडा परियोजना के बलकुदरा ओबी डंप पर काया कल्प वाटिका का निर्माण हो रहा है। जबकि ओबी डंप के अंदर सुलगती आग बढ़ती दिख रही है। भूमिगत आग के भयावह रूप लेने पर 40 एकड़ में करोड़ों की लागत से तैयार होती संरचनाओं का वजूद संकट में पड़ जाएगा और सारी महत्वाकांक्षा धरी की धरी रह जाएंगी।
बलकुदरा माइंस से कोयला खनन के क्रम में निकले ओवरबर्डन के पहाड़ पर काया कल्प वाटिका योजना का निर्माण तेजी से चल रहा है। धरातल कई संरचनाएं देखी जा रही है। इधर लगातार होती बारिश ने ओबी के अंदर सुलगती आग की भयावहता को उजागर कर दिया है। ओबी के पहाड़ पर जगह-जगह वाष्प मिश्रित गैसों का रिसाव होता देखा जा रहा है। भूमिगत आग और बढ़ने से भू-धंसान की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। जिससे सतह पर निर्माण की जा रही संरचनाओं पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है और करोड़ों की लागत से तैयार होती कायाकल्प वाटिका की उपयोगिता शून्य हो सकती है। ओबी डंप पर जगह-जगह उठते भाप के गुबार से निर्माणाधीन कायाकल्प वाटिका के भविष्य को लेकर चर्चा जोर पकड़ रही है। वहीं भुरकुंडा परियोजना का बदहाल इको फ्रेंडली पार्क भी कायाकल्प वाटिका की उपयोगिता को लेकर संशय पैदा कर रहा है।
वर्तमान में काया कल्प वाटिका की साइट पर बैरिकेडिंग कर निर्माण कार्य किया जा रहा है। धरातल की वर्तमान स्थिति फिलहाल स्पष्ट नहीं हो सकी है। जबकि स्थानीय लोग बताते हैं कि सतह पर निर्माण कार्य शुरू होने के दौरान भी जगह-जगह भूमिगत आग की तपिश महसूस की जा रही थी और पत्थरों के बीच सुराखों से गैसों का आंशिक रिसाव भी देखा जा रहा था।
जानकार बताते हैं कि ओबी डंप के अंदर सुलगती आग बारिश के पानी और हवा के संपर्क में जोर पकड़ सकती है और भविष्य में इससे भू-धंसान की संभावना बन सकती है। बताया जाता है कि बड़े स्तर पर फैले भूमिगत आग की रोकथाम के उपाय काफी जटिल होते हैं। जो सामान्यतः अमल में लाए नहीं जाते हैं। दरारों में मिट्टी-बालू की भराई से आग बढ़ने की गति को धीमा किया जा सकता है।
बहराल, केंद्र सरकार और सीसीएल के इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को तैयार करने में नि:संदेह अनुभवी विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों की सहभागिता रही होगी। जाहिर है कि ओबी डंप की भूमिगत आग के संदर्भ में भी कार्य योजना जरूर बनी होगी। भविष्य में ओबी डंप के अंदर सुलगते आग पर काबू कैसे पाया जाएगा और कायाकल्प वाटिका योजना की सार्थकता कितनी होगी यह देखने वाली बात होगी।
क्या है ओवरबर्डन और कैसे लगती है आग
ओपन कास्ट माइंस में कोयला सीम के उपर विभिन्न प्रकार के पत्थर और मिट्टी की परत को ओवरबर्डन के रूप में जाना जाता है। कोयला खनन के दौरान उपर के ओवरबर्डन को हटाया जाता है और अलग जगह पर डंप किया जाता है। डंप ओवरबर्डन में कोयले की भी प्रचूरता होती है। हवा के संपर्क में आने से विशेष प्रकार के कोयले में ऑक्सीकरण की प्रक्रिया से ताप उत्पन्न होती और जिससे आग सुलग सकती है। लंबे समय तक सुलगती और बढ़ती भूमिगत आग भू-धंसान की संभावना को प्रबल करती है।