कोयलांचल की सड़कों पर काल बन रहे बड़े वाहन, रफ्तार पर रोक नहीं

दुर्घटना ने मासूमों से छीना पिता का साया, मां का चल रहा इलाज

• बेतहाशा रफ्तार पर कब लगेगी रोक, यातायात नियमों का कौन कराएगा पालन

रिपोर्ट- रमेश किस्कू

उरीमारी (हजारीबाग): चार मासूमों को माता-पिता के बाजार घर लौटने का बेसब्री से इंतजार था, लेकिन सड़क दुर्घटना ने कुछ ही लम्हों में जिंदगी ही तितरबितर करके रख दी। यातायात नियमों की अनदेखी और सड़क पर रफ्तार की भागमभाग ने मासूमों के सिर से पिता का साया हमेशा के लिए छीन लिया। मां सुरक्षित है लेकिन फिलहाल इलाज की जद्दोजहद में है।

रामगढ़ जिला अंतर्गत भुरकुंडा ओपी क्षेत्र के सौंदा साइडिंग के निकट बीते सोमवार अनियंत्रित ट्रक की टक्कर से घायल उरीमारी रंजन करमाली की इलाज के दौरान मौत हो गई। दुर्घटना में घायल उनकी पत्नी दशमी देवी इलाज कराया जा रहा है। दशमी देवी के मन में दुख और पीड़ा के बीच बिखरते परिवार को समेटने के लिए हिम्मत जुटाने का द्वंद चल रहा है। वहीं मृतक रंजन करमाली पीछे तीन बेटे और एक बेटी छोड़ गए हैं। जिनकी उम्र सात से 15 साल के बीच बताई जाती है।  जिस मजबूत कंधे पर बैठ बच्चों ने खुशियों का आनंद मनाने की अभी शुरुआत ही की थी वह हमेशा के लिए छिन गया है। जो हाथ इनके सुखद भविष्य का तानाबाना बुनते वह अस्तित्व में ही नहीं रहे। मां पर अब जिम्मेदारियों का बोझ आन पड़ा है। अचानक आई विपदा से मासूम सदमे में हैं।

इधर, दुर्घटना से मासूमों की जीविका और उनके भविष्य पर लगे ग्रहण ने समाज पर बड़े सवाल खड़े कर दिए है। सड़क पर रफ्तार की भागमभाग आखिर कब और कैसे थमेगी, होनी-अनहोनी के नाम पर चंद नोटों से जीवन का मोल कबतक लगाया जाएगा। रामगढ़ जिला के कोयलांचल क्षेत्र में बड़े वाहनों से दुर्घटनाएं बढ़ चली हैं। दुर्घटनाएं अप्रत्याशित होती हैं, कमोबेश आगे भी होती रहेंगी। लेकिन यातायात व्यवस्था सुधारने की ठोस पहल नहीं होती।

कोयलांचल में बड़े व्यवसायिक वाहन एक अरसे से काल बनकर दौड़ रहे है। जिनकी संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है। दुर्घटनाओं के बाद कुछ समय के लिए थमती रफ्तार फिर से जोर पकड़ लेती है।  बताया जाता है कि कम वेतन देने के लालच में नौसिखिए और अनुभवहीन चालकों को बड़े वाहन थमा दिए जा रहे हैं। वाहन मालिक अधिक-से अधिक ट्रिप लगाकर मुनाफा कमाने के लालच में सड़क रफ्तार की होड़ लगवा रहे हैं। इलाके में कोई ओवर लोड कोयला लेकर दौड़ रहा तो कोई बालू और पत्थर। कहीं लोडिंग के जल्दी पहुंचने की होड़ मची है तो कोई भ्रष्टाचार की कारगुजारियों को दबाने छिपाने की आपाधापी में भाग रहा है। कहीं गांजे-शराब के नशे में दैत्याकार वाहनों का तांडव मचाया जा रहा है, तो कहीं नौसिखिए सड़क पर हाथ आजमा रहे हैं। देखने सुननेवाला कोई नहीं है। 

व्यवस्था में बैठे लोगों के पास होनी-अनहोनी से इतर कोई जवाब नहीं होता। स्कॉट के बीच सुरक्षित आवागमन करते जनता के सेवकों को सड़क पर पसरते खून के धब्बे नहीं दिखते। सिस्टम की नजर में बिना हेलमेट चलनेवाला आज सबसे बड़ा अपराधी हैं, फिर सड़क रौंदे जा रहे आम लोगों की मौत के जिम्मेदार कौन है ? उनपर कार्रवाई कब होगी और जवाबदेह जनता के सेवकों का चालान आखिर कब कटना शुरू होगा।

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