Transporting of CCL Urimari and Birsa project stalled due to demand for water supplyTransporting of CCL Urimari and Birsa project stalled due to demand for water supply

बड़कागांव: उरीमारी पंचायत अंतर्गत हेसाबेड़ा के ग्रामीणों ने पेयजल आपूर्ति की मांग को लेकर सुबह सात बजे से सीसीएल उरीमारी एवं बिरसा परियोजना का कोयला संप्रेषण पूरी तरह से ठप कर दिया।

आक्रोशित ग्रामीणों का कहना था कि सीसीएल प्रबंधन सिर्फ आश्वासन देती है, लेकिन हम ग्रामीणों के समस्याओं का समाधान नहीं करती है। सीसीएल प्रबंधन को पेयजल आपूर्ति, सड़कों पर जल छिड़काव सहित कई जनसमस्याओं को लिखित रूप से दिया गया है। जिस पर प्रबंधन ने जल्द से जल्द समाधान करने का आश्वासन दिया था। लेकिन अभी तक समस्याओं का समाधान नहीं हुआ है।

बुधवार को करीब आठ बजे सीसीएल प्रबंधन, मुखिया प्रतिनिधि व राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर यूनियन के क्षेत्रीय सचिव जिला कांग्रेस कमेटी हजारीबाग के उपाध्यक्ष राजू यादव एवं ग्रामीणों के बीच वार्ता हुई। जिस पर सीसीएल प्रबंधन ने पुनः समस्याओं का जल्द से जल्द समाधान का आश्वासन दिया। वार्ता के बाद कोयला संप्रेषण शुरू कर दिया गया।

वार्ता में सीसीएल प्रबंधन की ओर से ईएंडएम के सुनील कुमार, उरीमारी सुरक्षा पदाधिकारी राम स्नेही, बिरसा परियोजना के सुरक्षा पदाधिकारी श्याम सुन्दर प्रसाद, यूनियन की ओर से क्षेत्रीय सचिव राजू यादव, डॉ जी आर भगत, कानू मरांडी, सहित कई ग्रामीण मौजूद थे।

इधर, कोयला संप्रेषण चालू होने के बाद भी ग्रामीणों में आक्रोश देखा गया। ग्रामीणों ने कहा कि कुछ लोगों के स्वार्थ की वजह से हेसाबेड़ा बस्ती के लोग पेयजल की समस्या से पूरी तरह से परेशान हैं। उन लोगों को बस्ती के अन्य ग्रामीणों की समस्याओं से कोई फर्क नहीं पड़ता है क्योंकि उनके घर में सीसीएल के द्वारा टैंकर से पानी की व्यवस्था करा दी जाती है। ऐसे में पानी के लिए होने वाली समस्या सिर्फ और सिर्फ बस्ती के लोगों को उठाना पड़ रहा है। जब भी ग्रामीण कोई कदम उठाता है तो कुछ लोग ग्रामीणों के हितैषी बनकर सीसीएल प्रबंधन का काम आसान कर देते हैं। जिस कारण सीसीएल प्रबंधन भी ग्रामीणों के समस्याओं पर कोई विशेष पहल नहीं करती है।

बताया गया कि कुछ दिनों पूर्व ही ग्रामीणों ने आपस में चंदा कर समरसेबल की मरम्मत ही कराया था, लेकिन समरसेबल के पुनः खराब होने से समस्या जस की तस बनी हुई है।

कोयला संप्रेषण ठप कराने वालों में मुख्य रूप से सीताराम किस्कू, मुनीश मांझी, पूरण टुडू, सिगू हेम्ब्रोम, मनु टुडू, रवि पवारिया, संजीव सोरेन, मनका मांझी, महावीर मांझी, प्रेम हेम्ब्रोम, आनंद टुडू, अविनाश किस्कू, लखन बेसरा, जितू मुर्मू, छोटू सोरेन, रोहित मरांडी, मनोज हेम्ब्रोम, प्रशांत हेम्ब्रोम, राजू किस्कू, रवींद्र हेम्ब्रोम, राजन बहादुर, बरियत किस्कू, मोहन हेम्ब्रोम, राजेश बेसरा, महावीर हेम्ब्रोम, सोमरा किस्कू, बिरसा किस्कू, अरुण किस्कू, विक्की पवरिया, सुलेंद्र हेम्ब्रोम, तालो मांझी, महादेव टुडू, सिकेंद्र हेम्ब्रोम, खेमलाल बेसरा, निरंजन किस्कू, रोशन किस्कू, टिंकू बेसरा, अर्जुन पवारिया, राजन महतो, प्रदीप किस्कू, मनीष हेम्ब्रोम, राजेंद्र हेम्ब्रोम, सनोज हेम्ब्रोम, राहुल बेसरा, मुकेश बेसरा, सुशांत हेम्ब्रोम, अजय किस्कू, किसन किस्कू, चंदन पवरिया, फुलमुनी देवी, फूलमती देवी, बसंत देवी, शांति देवी, रंधनी देवी, जगी देवी, रुसुमुनी देवी, रतनी देवी, मंजू देवी सहित कई लोग मौजूद थे।

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