झारखंड राज्य गठन के वर्षों बाद भी बदहाली कायम 

रामगढ़: छावनी परिषद के वार्ड संख्या 7 अंतर्गत बुजुर्ग जमीरा गांव का झापा टोला बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। इस आदिवासी बहुल टोले का उत्तरी भाग रामगढ़ और दक्षिणी भाग बड़कागांव विधानसभा में पड़ता है। बावजूद इसके टोला तक आवागमन के लिए सड़क आज तक नहीं बन सकी है। बरसात के समय में टोला के लोगों के लिए आवागमन काफी मुश्किलों भरा होता है। यहां पेयजल की भी समस्या बरकरार है। ग्रामीण छोटे से कुएं के पानी का उपयोग करते हैं। जबकि एक भी सरकारी चापानल यहां कहीं नजर नहीं आता है। हाल के दिनों में काफी प्रयास के बाद यहां बिजली पहुंची है और झापा ढोला किसी तरह ढिबरी युग से बाहर निकल सका है।

झापा टोला में उरांव और मुंडा जनजाति के लोग तकरीबन 35 वर्षों से बसे हुए है। आबादी लगभग 150 बताई जाती है। रामगढ़-पतरातू फोरलेन से झापा टोला की दूरी तकरीबन तीन किलोमीटर है। यहां लोगों की जीविका खेती-बाड़ी और मजदूरी से चलती है। ग्रामीण बताते हैं कि आज तक सांसद, विधायक या कोई अधिकारी यहां कभी उनकी सुध लेने नहीं पहुंच सके हैं। यहां के लोग चुनाव में वोट जरुर देते हैं, लेकिन सरकारी योजनाओं से वंचित हैं। 

बुजुर्ग जमीरा निवासी पवन कुमार यादव बताते हैं कि बुजुर्ग जमीरा का झापा टोला दो विधानसभा क्षेत्र में पड़ता है। लेकिन आज तक यहां कोई भी सांसद, विधायक नहीं आ सके हैं। ग्रामीण अपने भरोसे जी रहे हैं, जबकि सरकारी सुविधाएं नगण्य हैं। हाल में काफी प्रयास के बाद यहां बिजली पहुंची है। सड़क और पेयजल को लेकर भी वर्षों से मांग की जा रही है, जबकि नतीजा शून्य है।

बहराल, सरकारी आंकड़ों की बाजीगरी से झारखंड की  उकेरी जा रही तस्वीर, असल में यथार्थ से मीलों दूर है। गांव-टोलों तक सड़क, हर घर नल जल और घर-घर बिजली के दावे फिलहाल खोखले दिख रहे हैं। रामगढ़ शहर के करीब एक टोले की यह बदहाल स्थिति है तो सुदूरवर्ती क्षेत्रों में लोग किन मुश्किलों में जिंदगी गुजार रहे होंगे, इसका अनुमान लगाया जा सकता है। 

 

By Admin

error: Content is protected !!