12 वर्षों के अंतराल पर ग्राम देवता पूजा की रही है परंपरा

• देवी मंडप और सीमांकन स्थलों पर हुई पूजा, दी गई बलि

रामगढ़: भारतीय ग्रामीण संस्कृति में शुभ कार्य करने से पहले ग्राम देवता की पूजा की परंपरा रही है। पतरातू प्रखंड के लादी गांव में शुक्रवार को लगभग 34 वर्षों के बाद ग्राम देवता पूजा (खूंट पूजा) की गई। जिसमें बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल हुए। पाहन जयरोपन, फुलेश्वर, रामचंद्र मुंडा, रंजीत गंझु, उगन गंझु, और ढोडा मुंडा के मार्गदर्शन में पूजा संपन्न हुई।

Village God worshiped in Ladi for happiness and peace after three decades

सुबह गांव के देवी मंडप में पारंपरिक तरीके से पूजा अर्चना कर बलि दी गई। इसके उपरांत ढोल-मांडर और ध्वज के साथ ग्रामीण गांव के सभी चिन्हित सीमांकन स्थलों पर पहुंचे और पूजा कर बलि दी। इस दौरान गांव देवता का जयकारा भी जमकर लगाया गया। 

मान्यता है कि इससे ग्राम देवता गांव और ग्रामीणों की बुरी शक्तियों से रक्षा करते हैं और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। वहीं बताया जाता है कि 12 वर्ष के अंतराल पर यह पूजा की जाती रही है। जबकि लादी गांव में तकरीबन 33-34 वर्षों से यह पूजा नहीं हो पा रही थी। इसबार सर्वसम्मति से परंपराओं का निर्वहन करते हुए पूजा की गई। वहीं पूजा को लेकर ग्रामीण उत्साहित दिखे। विशेषकर पहली बार खूंट पूजा में शामिल होनेवाले युवाओं में काफी  कौतूहल रहा। 

पूजा में बालेश्वर राम,  श्याम महतो, महेंद्र मुंडा, हीरालाल, संजय कुशवाहा, कजरू गंझू, पंकज दांगी, नकुल गंझू, राजन राम, धर्मपाल राम, प्रेम दांगी, विजय मुंडा, राहुल कुमार, सचिन कुमार, विरेंद्र उरांव, प्रकाश राम सहित कई शामिल रहे। 

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