रामगढ़: वह हर बार इस हाव-भाव से धनुष की प्रत्यंचा खींचती है कि युद्ध के मैदान में उतरे पारंगत योद्धा सी प्रतीत होती है। आत्मविश्वास, एकाग्रता और स्टेमिना ऐसी की हर किसी को एकबारगी हैरत में डाल दे। काफी वजनी धनुष से स्थिरता के साथ हर बार अचूक निशाना और एक दिन में तकरीबन 500 तीर चलाने की प्रैक्टिस आसान नहीं है। जबकि भुरकुंडा कोयलांचल की लाडली तीरंदाज तमन्ना वर्मा की यह लगभग रोज की दिनचर्या है। 15 वर्ष की उम्र में घर परिवार से अलग बिरसा मुंडा आर्चरी एकाडमी, सिल्ली में वह मेहनत की तपिश में तप रही है, एक दिन निखरेगी और जीवन के सबसे बड़े लक्ष्य को भेद डालेगी। लक्ष्य अपने भारत के लिए ओलंपिक में गोल्ड लाने का। 

आर्चरी खेल में रामगढ़ जिले की तीरंदाज तमन्ना वर्मा ने अपनी प्रतिभा से छोटी उम्र में एक बड़ा फासला तय किया है। मंजिल की ओर बढ़े कदमों की रफ्तार समय के साथ और भी तेज होती जा रही है। छोटी सी तमन्ना में गज़ब का कॉन्फिडेंस है, जो बेहद प्रभावित करती है। बिटिया के चेहरे पर तेज और आंखों में एक ओज है जो उसके जज्बे और ढृढ़ता को साफ प्रतिबिंबित करता है। पिता शेखर वर्मा और मां रूबी वर्मा ने उसे उत्तम संस्कार के साथ ही सपनों को उन्मुक्त जीने का बेजोड़ हौसला दिया है। बीते 08 मार्च को ही तमन्ना ने अपनी मैट्रिक की परीक्षा दी है और अब वह पुनः बिरसा मुंडा आर्चरी एकाडमी में प्रैक्टिस करने में जुट जाएगी। इस बीच तमन्ना वर्मा आपके पसंदीदा खबर सेल से भी रूबरू हुई। आगे पढ़ें तीरंदाज तमन्ना वर्मा से खबर सेल की खास बातचीत के मुख्य अंश…

माता-पिता के साथ तमन्ना

जब नन्ही तमन्ना ने कहा – ” मैं गोल्ड लेकर आउंगी”

तमन्ना बताती है कि वर्ष 2018 में नेशनल गेम्स में तीरंदाज खिलाड़ी मधुमिता प्रतिस्पर्धा में सिल्वर मेडल जीता था। मधुमिता के प्रदर्शन ने नन्ही तमन्ना के मन में गहरी छाप छोड़ दी। उसने अपनी मां से कहा-” मैं गोल्ड लेकर आउंगी”। बात पिता शेखर वर्मा के कानों तक पहुंची। उन्होंने कहा -” हमारी तमन्ना जरूर गोल्ड मेडल लाएगी”। इसके साथ ही बिरसा आर्चरी एकाडमी के लिए भाग-दौड़ शुरू हुई। आखिरकार एडमिशन मिल गया और प्रशिक्षण शुरू हो गया। पिता ने जिंदगी की भाग-दौड़ और तमाम झंझावतों के बीच किसी तरह एक रिकर्व धनुष खरीदकर तमन्ना को दिया। तब से ट्रेनिंग और प्रैक्टिस का शुरू हुआ सिलसिला हुआ जो अब भी बदस्तूर जारी है। 

नेशनल तक का शानदार सफर, अब इंटरनेशनल पर नज़र 

तमन्ना ने बताया कि बिरसा आर्चरी एकाडमी में एडमिशन के बाद से वह कई कंपटीशन खेल चुकी है। स्कूल गेम्स से स्टेट और नेशनल लेवल तक विभिन्न प्रतियोगिता में उसने अबतक लगभग 16 गोल्ड, 7 सिल्वर और 2 ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया है। बीते वर्ष 2024 में उसने जमशेदपुर में सिनियर नेशनल कंपटीशन, गुजरात में स्कूल नेशनल कंपटीशन, राजस्थान में जूनियर नेशनल और वूमेंस नेशनल और कोलकाता में इंटर साई सहित कई अन्य प्रतिस्पर्धा में भाग लिया। वहीं 2023 में जमशेदपुर में स्टेट चैंपियनशिप और छत्तीसगढ़ में हुए सब-जूनियर नेशनल खेल चुकी है। हाल ही में उत्तराखंड में हुए नेशनल गेम्स 2025 में झारखंड टीम में सुप्रसिद्ध तीरंदाज दीपिका कुमारी, अंकिता भगत और कोमोलिका बारी के साथ आर्चरी में राज्य का नेतृत्व करने का अवसर मिला। तमन्ना ने बताया कि निकट इसी वर्ष कोरिया में इंटरनेशनल चैंपियनशिप होना है। जिसे लेकर प्रैक्टिस में लग जाना है। 

इंटरनेशनल स्तर की ट्रेनिंग के लिए बेहतर धनुष की है दरकार 

तमन्ना ने कहा कि जिस स्तर और रेंज पर उसे अब प्रैक्टिस करना है। उसके लिए उस‌का रिकर्व धनुष (BOW) उपयुक्त नहीं है। इंटरनेशनल लेवल के कंपटीशन के लिए प्रैक्टिस करना है।फिलहाल प्रशिक्षकों द्वारा कुछ समय के किसी तरह उसे प्रैक्टिस के लिए ATF-X BOW उपलब्ध कराया है। तमन्ना ने बताया कि बेहतर परफॉर्मेंस के लिए ATF-DX BOW के साथ ट्रेनिंग और प्रैक्टिस की जरूरत है। इससे वह आगे और बेहतर कर सकती है। पापा ने कहा है कि धनुष की व्यवस्था करने में लगे हुए हैं। 

समर्पण, मार्गदर्शन और नियमित प्रैक्टिस से मिलती है सफलता: तमन्ना 

तमन्ना का कहना है कि हर किसी के अंदर कोई न कोई प्रतिभा जरूर छिपी है। जरूरत होती है उसे तलाशने और पूरी एकाग्रता से उसे तरासने की। खेल-कूद के क्षेत्र में भविष्य देखनेवाले युवा और किशोर के लिए तमन्ना कहती हैं कि खेल वही चुनें जिसमें वास्तव में रुचि हो और प्रैक्टिस के लिए पर्याप्त समय दे सकें। नियमित प्रैक्टिस के साथ बेहतर संसाधन भी जरूरी हैं। इससे आप और पारंगत होते हैं। अनुशासन के साथ पूरा समर्पण, सही मार्गदर्शन और नियमित प्रैक्टिस से ही सफलता मिल सकती है‌।

पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगी! 

पिता शेखर वर्मा कहते हैं कि तमन्ना को जिस धनुष की दरकार है वह काफी महंगा है और फिलहाल हमारे बूते से बाहर है। कई जनप्रतिनिधियों और गणमान्य लोगों से संपर्क कर चुका हूं, अबतक कहीं से कोई सहयोग नहीं मिल सका है। मध्यम और निम्न वर्ग से आनेवाले प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को बड़ी समस्या झेलनी पड़ती है। पैसों की तंगी और महंगे संसाधनों के अभाव में कई होनहारों के सपने अधूरे रह जाते हैं। इस दिशा में केंद्र और राज्य सरकार को बड़ी और ठोस पहल करनी चाहिए। शेखर कहते हैं कि तमन्ना का आर्चरी में अब तक का प्रोग्रेस, परफॉर्मेंस और अचीवमेंट ने न सिर्फ उन्हें बल्कि उसके प्रशिक्षकों को भी चकित किया है। इतनी कम उम्र में तमन्ना का आत्मविश्वास और उसकी एकाग्रता उन्हें और मेहनत करने के लिए प्रेरित करती है। शेखर वर्मा पूरे आत्मविश्वास के कहते हैं कि उन्हें यकीन है तमन्ना  ओलंपिक खेलेगी और अपने देश के हिस्से में गोल्ड लाएगी। एक दिन वह पूरे विश्व में अपने भारत का डंका जरूर बजाएगी। 

 

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