नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को प्रगति मैदान में संस्कृति मंत्रालय के तत्वावधान में आयोजित ‘पुस्तकालय महोत्सव’ का उद्घाटन किया। अवसर पर कानून एवं न्याय मंत्री और केंद्रीय संस्कृति एवं ससदीय कार्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल मौजूद रहे। बताते चले कि दो दिवसीय महोत्सव में दुनिया भर के लेखकों की किताबों से प्रगति मैदान सजा रहेगा। रविवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ महोत्सव के समापन समारोह में शामिल रहेंगे।
उद्घाटन के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि पुस्तकालयों का विकास समाज और संस्कृति के विकास से संबंधित है। यह सभ्यताओं की प्रगति का एक पैमाना भी है। उन्होंने कहा कि इतिहास ऐसे संदर्भों से भरा पड़ा है जिसमें आक्रमणकारियों ने पुस्तकालयों को नष्ट करना आवश्यक समझा। इससे पता चलता है कि पुस्तकालयों को किसी देश या समाज की सामूहिक चेतना और बुद्धि का प्रतीक माना गया है।
उन्होंने बताया कि आधुनिक युग में ऐसी घटनाएं नहीं होती हैं लेकिन दुर्लभ पांडुलिपियों और पुस्तकों के गायब होने की घटनाएं होती हैं। उन्होंने कहा कि दुर्लभ पुस्तकों और पांडुलिपियों को वापस लाने के प्रयास किये जा सकते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि पुस्तकालय सभ्यताओं के बीच सेतु का काम करते हैं। प्राचीन और मध्यकाल में कई देशों के लोग भारत से पुस्तकें ले जाते थे, उनका अनुवाद करते थे और ज्ञान प्राप्त करते थे। ऐसे प्रयासों के केंद्र में यह विचार है कि किताबें और पुस्तकालय मानवता की साझी विरासत हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि एक छोटी सी किताब विश्व इतिहास की दिशा बदलने की क्षमता रखती है। उन्होंने गांधीजी की आत्मकथा का उल्लेख किया, जहां उन्होंने जॉन रस्किन की पुस्तक ‘अनटू दिस लास्ट’ के उनके जीवन पर महान सकारात्मक प्रभाव का उल्लेख किया है।
उन्होंने कहा कि किताबों में धरती की सुगंध और आकाश की विशालता समाहित होती है। कहा कि पांडुलिपियों के संरक्षण और पुस्तकालयों के आधुनिकीकरण और डिजिटलीकरण के प्रयास बहुत महत्वपूर्ण हैं। सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के प्रयोग से पुस्तकालयों का स्वरूप बदल रहा है। पहुंच आसान हो गई है।
उन्होंने कहा कि ‘वन नेशन, वन डिजिटल लाइब्रेरी’ के राष्ट्रीय लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारत की राष्ट्रीय वर्चुअल लाइब्रेरी विकसित की जा रही है।
उन्होंने विश्वास जताया कि राष्ट्रीय पुस्तकालय मिशन की सफलता से पुस्तकालयों से जुड़ने और किताबें पढ़ने की संस्कृति मजबूत होगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि पुस्तकालयों को सामाजिक संपर्क, अध्ययन और चिंतन का केंद्र बनना चाहिए। उन्होंने पुस्तकालयों के विकास के राष्ट्रीय अभियान को आगे बढ़ाने के लिए संस्कृति मंत्रालय की सराहना की।