आजादी का अमृत महोत्सव‘ के तहत साप्ताहिक कार्यक्रम की हुई शुरुआत

हजारीबाग : जीएम महाविद्यालय इचाक में आजादी का अमृत महोत्सव को लेकर विभिन्न प्रकार के साप्ताहिक कार्यक्रम की शुरुआत सोमवार से हुई। इस वर्ष देश में 75 वां स्वतंत्रता दिवस मनाया जाना है। जिसमें 75 वर्ष का विचार, उपलब्धियां एवं संकल्प शामिल है। यह स्वतंत्र भारत के सपनों को साकार करने के लिए आगे बढ़ने की प्रेरणा प्रदान करते हैं। महाविद्यालय में सप्ताहिक कार्यक्रम चलाया जाएगा। इसके तहत “देश के प्रति हमारा कर्तव्य” विषय पर निबंध लेखन का आयोजन किया गया। जिसमें इंटर द्वितीय वर्ष एवं स्नातक के छात्र-छात्राओं ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। जीएम महाविद्यालय इचाक की विशेषता रही है कि पढ़ाई के साथ-साथ सर्वांगीण विकास पर जोर देना। जिसमें समय-समय पर विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम, खेलकूद पर विशेष बल दिया जा रहा है। इस आजादी के 75 वीं वर्षगांठ पर छात्र-छात्राओं में देश प्रेम की भावना जागृत करने के उद्देश्य से कई प्रकार के कार्यक्रम करवाए जा रहे हैं। वर्तमान समय में जो युवा पीढ़ी हैं वह आजादी के संघर्ष और लोकतंत्र के महत्व को बेहतर ढंग से नहीं जानती हैं। कई विचारधाराओं में बंटी यह युवा पीढ़ी गुमराही के एक चौराहे पर खड़ी है। ऐसे में उसे अपने देश के इतिहास और वर्तमान से जोड़ना जरूरी है। भारत को आजाद कराने के लिए किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा और क्या-क्या कुर्बानियां भारत को देनी पड़ी यह आज की युवा पीढ़ी को जानना जरूरी है। हालांकि किताबों और स्कूल में पढ़ाए गए पाठ से उन्हें आजादी के बारे में बहुत हद तक कुछ जानकारियां मिल जाती हैं, लेकिन वह करीब से इसकी संघर्ष की कहानी को नहीं जानते हैं। इतिहास की बहुत सी बातें पाठ्यक्रम में नहीं, जिन्हें जानना या बताना जरूरी है।

कार्यक्रम के दौरान प्राचार्य शंभू कुमार ने आजादी और राष्ट्रध्वज के प्रति हमारा कर्तव्य क्या होना चाहिए विषय पर चर्चा करते हुए बताया कि आजादी का महोत्सव किसी विशेष जाति, धर्म अथवा राज्य नहीं बल्कि संपूर्ण भारत के लिए महत्वपूर्ण है। महाविद्यालय प्रभारी पंकज कुमार ने कहा कि हमारे महाविद्यालय के विद्यार्थी सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेकर अपनी कला के माध्यम से आजादी का महोत्सव मनाएंगे।

कार्यक्रम को सफल बनाने में शिक्षक रत्नेश कुमार राणा, दीपक प्रसाद, रियाज़ अहमद, अजीत हंसदा, अजय उरांव, आशीष पांडे, संगम कुमारी, गायत्री कुमारी का सराहनीय योगदान रहा।

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