बेहतर करियर के हैं कई विकल्प, रूचि और कठिन परिश्रम जरूरी: डॉ.शिव प्रसाद लोहरा
• अतिथियों ने करियर काउंसिलिंग के दौरान बच्चों को दिये कई परामर्श
रामगढ़: चैनगड्डा स्थिति धुमकुड़िया सरना भवन में रविवार को आदिवासी समाज पतरातू प्रखंड के तत्वावधान में करियर काउंसलिंग सह सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें इस वर्ष प्रखंड क्षेत्र के 10 वीं और 12वीं पास कई आदिवासी छात्र-छात्राओं को प्रशस्ति पत्र लेकर सम्मानित किया गया। अवसर पर बच्चों का करियर काउंसलिंग करते हुए शिक्षाविदों और प्रोफेशनल्स ने कई परामर्श भी दिये। साथ ही करियर संबंधित सवालों पर बच्चों के सवालों का जवाब भी दिया गया।
समारोह में मुख्य रूप से बतौर मुख्य अतिथि केकेएम कॉलेज, पाकुड़ के प्राचार्य डॉ. शिवप्रसाद लोहरा शामिल हुए। उनके आगमन पर पारंपरिक तरीके से उनका स्वागत किया गया। वहीं अन्य अतिथियों में एसबीआई बैंक प्रबंधक इंदू बेदिया, बैंक क्लर्क सोनी करमाली, एएसआई अरूण करमाली, पूर्व जिला पार्षद दर्शन गंझू, प्रखंड प्रमुख प्रतिनिधि सीताराम मुंडा, विकास बेदिया, श्याम सुंदर करमाली सहित अन्य उपस्थित रहे।
कार्यक्रम की शुरूआत अतिथियों ने भगवान बिरसा मुंडा, डॉ. भीमराव अंबेडकर और शहीद जीतराम बेदिया की तस्वीर पर जल और अक्षत अर्पित कर और दीप प्रज्जवलित कर किया। वही आदिवासी समाज पतरातू समिति कमेटी ने अंगवस्त्र देकर अतिथियों का स्वागत किया गया। समारोह में अतिथियों ने अपने-अपने विचार रखे।
वहीं कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि डॉ. शिव प्रसाद लोहरा ने कहा कि साइंस, कॉमर्स और आर्ट्स सभी में करियर के कई ऑप्शन मौजूद है। बच्चे अपनी रूचि के अनुसार बेहतर करियर ऑप्शन और कोर्स का चयन करें। लक्ष्य तय कर एकाग्रता से मेहनत करने से सफलता जरूर मिलेगी।
उन्होंने आगे कहा कि आदिवासी समाज आज भी पिछड़ा हुआ और वंचित समाज है। शिक्षा से ही आदिवासी समाज को नई दिशा दी जा सकती है। मेहनत और लगन से हर बाधा को पार कर सकते हैं।
कार्यक्रम को सफल बनाने में आदिवासी समाज पतरातू प्रखंड अध्यक्ष रोहित बेदिया, सचिव उमेश करमाली, कोषाध्यक्ष राजा बाबू मुंडा , सलाहकार तुलसी बेदिया, महेंद्र मुंडा, सीताराम बेदिया, श्रीनाथ करमाली, देवानंद बेदिया, दीपक मुंडा, विक्की करमाली, शशि करमाली, राजन करमाली, मुनेश बेदिया, संतोष बेदिया, गुलाब करमाली, विक्की करमाली, अरविंद करमाली सहित अन्य ने योगदान दिया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्र-छात्रा और आदिवासी समाज के लोग शामिल रहे।