रांची: विश्व आदिवासी दिवस पर बुधवार को रांची विश्वविद्यालय में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें सूबे के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन बतौर मुख्य अतिथि शामिल रहे। अवसर पर सांस्कृतिक गीत-संगीत पर आधारित कार्यक्रम प्रस्तुत किये गए।लोक कलाकारों ने छऊ नृत्य, घोड़ा नृत्य, पाइक युद्ध पर आधारित नृत्य सहित कई नृत्य कर अतिथियों को मंत्रमुग्ध कर लिया। पद्मश्री मधू मंसूरी ने भी अपने गीतो से श्रोताओं का मन मोह लिया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि झारखंड वीरों की भूमि है। जिन्होंने देश और समाज के लिए अपना सबकुछ न्योछावर कर दिया। इस अवसर पर मैं सभी महान विभूतियों को नमन करता हूँ। उन्होंने कहा कि आदिवासी समुदाय भारतीय सभ्यता और संस्कृति के महत्वपूर्ण अंग है। आदिवासी समाज का इतिहास गौरवशाली रहा है। जनजातीय समाज प्रकृति प्रेमी रहा है। जिसकी झलक उनके सभी रीति-रिवाजों में भी दिखती है। पृथ्वी की रक्षा के लिए प्रकृति की रक्षा जरूरी है। पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं की रक्षा से ही पर्यावरण की सुरक्षा हो सकती है। वहीं राज्यपाल ने कहा कि देश की राष्ट्रपति व झारखंड राज्य की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने विषम परिस्थिति होने के बावजूद परिश्रम करते हुए आज देश के सर्वोच्च पद पर हैं।

कार्यक्रम के दौरान रांची विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अजीत सिन्हा ने सभी को विश्व आदिवासी दिवस की शुभकामनाएं दी और झारखंड की सांस्कृतिक विरासत पर अपने विचार रखे।

मौके पर पद्मश्री अशोक भगत, पद्मश्री यमुना टुडू, राज्यपाल के शैक्षणिक सलाहकार प्रो. ई बालागुरुसामी, ओएसडी संजीव राय, कुलसचिव डॉ. मुकुंद चंद्र मेहता, परीक्षा नियंत्रक डॉ. आशीष कुमार झा, सीसीडीसी डॉ.पीके झा, डीएसडब्ल्यू  डॉ.सुदेश साहु, बीआर.झा, डीएसपीएमयू के पूर्व कुलपति डॉ. उमेश मेहता, आरके शर्मा, अशोक कुमार सिंह, सहित विभिन्न विभागों के प्राध्यापक और विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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