आप की बात: तिलक दहेज बीमारी- लखन बेदिया

Aap ki baat

 

 

कने से अइलक तिलक दहेज के बीमारी,
आवा भगवा सोभे मिली।
बोड घरक बोड बात, लाखों में उ करे बात।
बेटा मांगे मोटर गाड़ी, बाप मांगे गडी के गडी।
मांय मांगे बेटा खातीर सोना के शिकरी।
कने से अइलक तिलक दहेज के बीमारी,
आवा भगावा सोभे मिली।
बीच बीचुवा के सुना !
पुरल बात घार सुन्ना।
बेटा मांगे हीरो होंडा,
मांय पुरा खांडा भांडा।
बाप कहे लेगबउ हम दु सौ बाराती।
कने से अइलक तिलक दहेज के बीमारी
आवा भगावा सोभे मिली।
कम नखे छोट जाइत,
ओहो करे उतपाइत।
बाप खोजे पढल पुतउह,
मांय कहे नांय उसास भेतउ।
बेटा खीसे रागे फेंकउ
मोबाइल हांथेक घडी
कने से अइलक तिलक दहेज के बीमारी,
आवा भगावा सोभे मिली।
मडवा तर रुसे बोर,
मांय बेटीक गिरे लोर।
बाप बेटा दिले कांदे सुसकी सुसकी।
कने से अइलक तिलक दहेज के बीमारी,
आवा भगावा सोभे मिली।
मडवा तर घुरे फेरा,
तू है मेरी मैं हूं तेरा।
कुछ दिने लागी जाहे बेटीक गले डोरा-फांसी।
कने से अइलक तिलक दहेज के बीमारी,
आवा भगावा सोभे मिली।

 

Lakhan Bediya
      लखन बेदिया        ग्राम हुहुवा, पोस्ट- कैथा,  रामगढ़

 

Disclaimer: उपरोक्त रचना लेखक द्वारा स्वैच्छिक रूप से भेजी गई है। खबर सेल मौलिकता के संबंध म़े कोई पुष्टि नहीं करता है। 

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