रामगढ़: बरकाकाना क्षेत्र के बुजुर्ग जमीरा स्थित कॉमरेड जयंत गांगुली भवन में रविवार को भाकपा-माले का 12वां जिला सम्मेलन संपन्न हुआ। जिसकी शुरुआत भाकपा माले के वरिष्ठ नेता आर.एन. विश्वास ने झंडोत्तोलन कर किया। इसके उपरांत कॉ. मानकुंवर बेदिया के स्मृति दिवस पर उनके चित्र पर सम्मेलन के मुख्य अतिथि विधायक विनोद कुमार सिंह ने माल्यार्पण किया और सम्मेलन पर्सयवेक्षक कॉ जगमोहन महतो सहित सभी ने पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। इसके साथ ही जालियांवाला बाग हत्याकांड के शहीदों और पार्टी के दिवंगत नेता-कार्यकर्ता की याद में एक मिनट का मौन रखा गया। सम्मेलन के सात सदस्यीय अध्यक्षमंडल में लाली बेदिया, हीरा गोप, देवकीनंदन बेदिया, बसंत कुमार, बिगेन्द्र ठाकुर, नीता बेदिया, कांति देवी सहित तीन सदस्यीय टेक्निकल कमिटी में नरेश बडाईक, सरजू मुंडा और सावित्री कुमारी शामिल रहे।
सम्मेलन को संबोधित करते मुख्य अतिथि विनोद कुमार सिंह ने कहा कि रामगढ़ जिले का बड़ा भाग औद्योगिक क्षेत्र है। भाकपा माले की मजबूती के लिए मजदूरों को संगठित करने पर जोर देना होगा। इसके साथ ही आदिवासी, अल्पसंख्यक और दलितों को भी पार्टी से जोड़ने की जरूरत है। भाजपा के फासीवादी हमले के खिलाफ भाकपा माले और मार्क्सवादी समन्वय समिति का विलय किया गया है। यह संघर्ष आगे और भी तेज किया जाएगा।
सम्मेलन में अवधेश प्रसाद गुप्ता, देवानंद गोप, नागेश्वर मुंडा, लालचंद बेदिया, धनंजय तिवारी, जयवीर हंसदा, लालचंद ठाकुर, कांति देवी, विजेन्द्र प्रसाद, गिरधारी महतो, तृतियाल महतो, डॉ आशिष कुमार, प्रो.शहनवाज खान,सुरेन्द्र कुमार बेदिया, प्रदीप करमाली, नीता बेदिया, मदन प्रजापति सहित अन्य मौजूद रहे।
उत्तरी छोटानागपुर में ठेका मजदूरों में तब्दील किए जा रहे रैयत किसान: विनोद कुमार सिंह
पीएसयू में छोटानागपुर क्षेत्र की पहचान ही हुई थी सार्वजनिक क्षेत्र के लिए। जबकि अब सार्वजनिक क्षेत्र ही खत्म किए जा रहे हैं। यहां रैयत किसान ठेका मजदूरों में तब्दील किए जा रहे हैं और उसमें भी कोई गारंटी नहीं है। बोकारो में बीते दिनों अप्रेंटिस करनेवाले एक विस्थापित की मौत हुई है। आज निजीकरण के कारण उत्तरी छोटानागपुर क्षेत्र के लोग विस्थापित किए जा रहे। विस्थापितों को उनके अधिकार से वंचित रखा जा रहा है। इन्हीं सवालों के साथ बोकारो में आगामी 22 से 24 अप्रैल को बोकारो में भाकपा-माले का राज्य सम्मेलन की शुरुआत होगी। जिसमें राजनीतिक और सामाजिक संदर्भ में देश और राज्य में चले रहे आंदोलनों में साकारात्मक हस्तक्षेप की रूपरेखा तय की जाएगी।