भुरकुंडा में 6 एकड़ पर बनेगी साल वृक्ष की नर्सरी
• प्लांटेशन के लिए विभिन्न इलाकों में भेजे जाएंगे यहां तैयार होनेवाले पौधे
रिपोर्ट- रघुनंदन
रामगढ़: पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन की दिशा में जिला वन विभाग के प्रयास बदलाव के अच्छे संकेत दे रहे हैं। पतरातू प्रखंड के भुरकुंडा पंचायत में वन विभाग की एक बड़ी और बेहद महत्वपूर्ण योजना की शुरूआत हुई है। यहां तकरीबन छह एकड़ में साल (सखुआ) वृक्ष की बड़ी नर्सरी स्थापित की जाएगी। जहां बड़े पैमाने पर साल के पौधे तैयार होंगे। प्लांटेशन के लिए पौधे यहां से विभिन्न इलाकों में भेजे जाएंगे। साल वृक्ष पर आधारित यह झारखंड का यह पहला प्रोजेक्ट होगा।
इस योजना के तहत भुरकुंडा पावर हाउस से लेकर लोकल सेल डीपो तक जमीन समलतीकरण का काम शुरू भी हो चुका है। योजना कई चरणों में आगे बढ़ेगी। जल्द ही फेंसिंग और अन्य निर्माण संबंधित काम भी शुरू किए जाएंगे। योजना को पूरा होने में तकरीबन तीन वर्ष का समय लग सकता है।
बताते चले की नर्सरी के पास ही बलकुदरा ओबी डंप के 40 एकड़ में महत्वाकांक्षी कायाकल्प वाटिका तैयार की जा रही है। इस योजना के भी तकरीबन तीन वर्ष की समयावधि में पूरी होने की संभावना है। कुल मिलाकर जहां क्षेत्रवासियों को जल्द ही सुखद और मनभावन हरे-भरे नजारे देखने को मिलेंगे, वहीं यहां तैयार होनेवाले पौधे कई जगहों पर वृक्ष का रूप लेकर हरियाली की छटा बिखेरेंगे।
पर्यावरण के लिहाज से महत्वपूर्ण है साल के पेड़
साल या सखुआ का पेड़ पर्यावरण के लिए काफी महत्वपूर्ण है। यह एक मजबूत और बेहद उपयोगी इमारती लकड़ी है। इसका उपयोग पूरी दुनिया में दरवाजे, खिड़की के पल्ले और छोटी नांव बनाने में काफी किया जाता है। इतना ही नहीं रेलवे के स्लीपर बनाने में इसी लकड़ी का उपयोग होता है। झारखंड के वन क्षेत्रों की बड़ी आबादी जीविकोपार्जन के लिए साल वृक्ष पर निर्भर भी करती है। साल का वृक्ष काफी तेजी से बढ़ता है। झारखंड की मृदा और यहां की जलवायु इस पेड़ के लिए काफी अनुकूल भी है।
क्या कहते हैं डीएफओ नीतीश कुमार
प्रोजेक्ट के संबंध में पूछे जाने पर जिला वन प्रमंडल पदाधिकारी नीतीश कुमार ने बताया कि सीसीएल के सहयोग से जिला वन विभाग के द्वारा इस प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है। प्लांटेशन के लिए नर्सरी में बड़े पैमाने पर साल वृक्ष के पौधे तैयार किए जाएंगे। पर्यावरण के दृष्टिकोण से साल के वृक्ष काफी महत्वपूर्ण होते है। यह अपनेआप में रामगढ़ जिला ही नहीं, बल्कि राज्य का पहला प्रोजेक्ट है।