पाइप के नीचे गड्ढे से लोग छोटे-बड़े बरतन में जमा करते हैं पानी
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बड़कागांव: सीसीएल बरका-सयाल प्रक्षेत्र अंतर्गत उरीमारी परियोजना के हेसाबेड़ा बस्ती में सीसीएल के द्वारा जलापूर्ति के लिए बिछाए गए पाइप लाइन सफेद हाथी साबित हो रहा है।
Wकरीब 100 घरों की आबादी वाले हेसाबेड़ा बस्ती में रहने वाले लोग प्रतिदिन सीसीएल द्वारा की जा रही जलापूर्ति को लेकर खासे परेशान रहते हैं। कहने को तो सीसीएल प्रबंधन द्वारा पूरे बस्ती में जलापूर्ति के लिए पाइप लाइन बिछाकर लोगों को पेयजल की सुविधा उपलब्ध करा रही है। लेकिन सच्चाई ठीक इसके विपरीत है हेसाबेड़ा बस्ती के लोग बताते हैं कि यह पाइपलाइन में सिर्फ और सिर्फ ठेका और कमीशन का खेल हुआ है। पाइप लाइन के नल से कभी भी पानी नहीं गिर सका। काफी दिनों तक इंतजार करने के बाद भी जब नलों से पानी नहीं आने लगा तो मजबूरन लोगों ने बिछाए गए पाइप से नीचे जमीन में गड्ढा कर पानी को छोटे से बर्तन में जमा कर उससे किसी दूसरे बर्तन से फिर निकालकर बड़े बर्तन में जमा करते हैं। यह काम बस्ती की महिलाएं एवं बच्चे सभी करते दिखते हैं। रोजाना सीसीएल के इस पाइप लाइन को निहारने का काम बस्ती के लोगों का दिनचर्या में शामिल हो गया है।
महिलाएं बताती हैं कि जब घर में ज्यादा काम पड़ जाता है तो बच्चों को पाइप से पानी के इंतजार में बैठा दिया जाता है जैसे ही पाइप से पानी गिरने लगता है सब काम छोड़ पहले पानी भरने का काम किया जाता है। पानी की धार भी इतनी कम रहती है कि एक बर्तन को भरने के लिए काफी समय लग जाता है, महज मात्र 10 से 15 मिनट पानी चलने के बाद बंद हो जाता है। जिससे हमलोगों को काफी परेशानी होती है।
बस्ती के लोग पानी के लिए चापानल और कुआं पर निर्भर रहने को मजबूर हैं क्षेत्र में कई चापानल खराब पड़े हैं। वहीं कुंओं की स्थिति भी काफी खराब है। कुंओं की साफ सफाई एवं ब्लीचिंग पाउडर नहीं डालने के कारण पानी पीने योग्य नहीं है।
लोगों का कहना है कि इसी बस्ती में पंचायत के मुखिया, पंचायत समिति सदस्य रहते हैं। उन सबों के घरों में पानी की दिक्कत नहीं होने के कारण वे लोग हमारी समस्याओं पर ध्यान नहीं देते हैं। प्रतिदिन मुखिया, पंचायत समिति एवं कई जन प्रतिनिधियों के द्वारा हमलोगों की परेशानियों की जानकारी होने के बावजूद उन्हें हमारी परेशानियों से कोई लेना देना नहीं है। पंचायत चुनाव के दौरान लोग बड़ी-बड़ी बातें और वादे करते हैं लेकिन चुनाव में जीतने के बाद वह सभी समस्याओं को नजरअंदाज कर देते हैं यह सिर्फ जीतने वाले नहीं बल्कि हारने वाले के साथ भी होता है जबकि एक जनप्रतिनिधि होने के नाते क्षेत्र की समस्याओं का समाधान करना उनकी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। तभी वह क्षेत्रवासियों के सच्चे जनप्रतिनिधि के रूप में उनके दिलों में अपनी जगह बना सकते हैं।