स्विचऑन फाउंडेशन ने वायु प्रदूषण की रोकथाम को लेकर की प्रेस कांन्फ्रेंस
रांंची: राष्ट्रीय प्रदूषण निवारण दिवस की पूर्व संध्या पर स्विचऑन फाउंडेशन द्वारा प्रेस कांन्फ्रेंस का आयोजन किया गया। जिसमें बढ़ते वायु प्रदूषण और लोगों पर पड़ते इसके दुष्प्रभावों पर चिंता जताई गई। अवसर पर चिकित्सा पेशेवरों द्वारा महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सलाह भी जारी किए गए। वायु की गुणवत्ता के बिगड़ते स्तर को देखते हुए, चिकित्सकों ने जागरूकता बढ़ाने और एहतियाती उपायों की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया। प्रेस कॉन्फ्रेंस में रांची के जानेमाने डॉक्टरों में राज हॉस्पिटल से डॉ. सुप्रोवा चक्रवर्ती, डॉ. रश्मी कोंगारी, झारखंड कैंसर हॉस्पिटल से डॉ. मनमोहन और रिम्स से डॉ. सनोज कुमार शामिल रहे।
इस दौरान स्विचऑन फाउंडेशन के प्रबंध निदेशक विनय जाजू ने कहा कि स्वास्थ्य पेशेवर वायु प्रदूषण को स्वास्थ्य आपातकाल बता रहे हैं। यह स्वास्थ्य सलाह कार्रवाई के लिए सामूहिक आह्वान के रूप में कार्य करती है, जो वायु प्रदूषण से उत्पन्न बढ़ती चुनौतियों से निपटने में व्यक्तियों, समुदायों और नीति निर्माताओं की साझा जिम्मेदारी पर जोर देती है
प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए डॉ. सुप्रोवा चक्रवर्ती ने कहा कि वायु प्रदूषण दुनिया में मृत्यु दर का चौथा प्रमुख कारण है और वायु प्रदूषण के कारण हम हर साल 90 लाख लोगों को खो देते हैं। वायु प्रदूषण के खिलाफ यह जंग जागरूकता से ही लड़ी जा सकती है। इस राष्ट्रीय वायु प्रदूषण दिवस पर, हम सभी से आग्रह करते हैं कि वे अपने पर्यावरण के प्रति सचेत रहें और अपने श्वसन स्वास्थ्य की रक्षा के लिए उपाय करें।
डॉ. मनमोहन ने कहा कि मैंने वायु प्रदूषण और कैंसर के बढ़ते जोखिम के बीच एक चिंताजनक संबंध देखा है। प्रदूषित हवा में मौजूद जहरीले तत्व सेलुलर परिवर्तनों को गति दे सकते हैं, जो इस पर्यावरणीय जोखिम को कम करने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों की अनिवार्यता पर बल देता है।
कंसल्टेंट पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. रश्मी कोंगारी ने कहा कि वायु प्रदूषण मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा है और हमें इसके लिए तत्काल कार्रवाई करने की जरूरत है।
वहीं रिम्स के सलाहकार बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सनोज कुमार ने कहा कि वायु प्रदूषण एक बड़ा पर्यावरणीय स्वास्थ्य खतरा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा जारी हालिया आंकड़ों से पता चलता है कि वायु प्रदूषण का बच्चों के स्वास्थ्य और अस्तित्व पर व्यापक और भयानक प्रभाव पड़ता है।
चिकित्सकों ने कूड़ा और अपशिष्ट पदार्थो को जलाने से बचाने की बात कही। वहीं अधिक से अधिक पौधरोपण और उर्जा संरक्षण करने पर बल दिया। पेट्रोल और डीजल वाहनों का उपयोग कम करने और साइकिल की उपयोगिता बढ़ाने का भी सुझाव दिया गया। इसके साथ ही चिकित्सकों ने वायु प्रदूषण कम करने के लिए सामाजिक जागरूकता को भी जरूरी बताया।