• प्रदूषण की चपेट में मेन रोड, लोग बेहाल, प्रबंधन मौन
• हाइवा से सड़क पर गिरते कोयले होते हैं धूल-गर्द में तब्दील
रामगढ़: सीसीएल बरका-सयाल प्रक्षेत्र के भुरकुंडा परियोजना में छठ मंदिर से लेकर बांसगढ़ा माइंस तक मेन रोड के आसपास लोग इन दिनों नारकीय जीवन जीने को विवश हैं। जहां सड़क पर वाहनों के आवागमन के बीच धूल-गर्द से राहगीरों को परेशानी हो रही है, वहीं सड़क के ईर्द-गिर्द रहनेवाले लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा हैं।
बीते दिनों यहां प्रदूषण को लेकर स्थानीय लोगों के विरोध पर प्रबंधन द्वारा तीन टाइम पानी छिड़काव का आश्वासन देते हुए साफ-सफाई की कवायद शुरू की गई, जो महज दो दिन में ही ठंडी पड़ गई। स्थिति फिर वही ढाक के तीन पात रह गई है। अब आलम यह है कि यहां सड़क के निकट दो मिनट भी रह पाना बेहद कठिन प्रतीत होता है। जबकि छठ मंदिर से बांसगढ़ा माइंस तक सड़क से सटे हुए सैंकड़ों परिवार रहते हैं। ये परिवार 24 घंटे किस परेशानी से रोजाना गुजरते होंगे, इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। वहीं वाहनों के निरंतर आवागमन से सड़क पर कुहासे की तरह धूल-गर्द ऐसे पसरा रहता है कि कुछ मीटर के फासले पर दूसरे वाहन और लोग तक साफ तौर पर नहीं दिखते हैं। जबकि कोयला ट्रांसपोर्टिंग में लगे हाइवा यहां काफी तेज रफ्तार में चलते दिखते हैं। ऐसे में दुर्घटना की संभावना भी बनती दिख रही है।
गर्मी के मौसम में धूल-गर्द से और बढ़ेगी परेशानी
अभी गर्मी के मौसम की शुरुआत भी नहीं हुई है और भुरकुंडा के मेन रोड पर धूल-गर्द की ऐसी स्थिति है। यहां के लोगों के लिए समस्या आगे बड़ी परेशानी का सबब बन सकती है। सड़क पर टैंकर से पानी छिड़काव दो मिनट में छूमंतर हो जाएगा और हालात जस के तस रह जाएंगे। गर्मी के दिनों में तपता हुआ धूल-गर्द जाने कितने लोगों को बीमार और कितने नौनिहालों के फेफड़ों को छलनी कर जाएगा। जाने कितने मासूमों का भविष्य दमा-टीबी जैसी श्वांस संबंधित बिमारियों में उलझकर रह जाएगा। प्रदूषण की यह स्थिति किसी यातना से कम नहीं है। भुरकुंडा हॉस्पिटल भी इसी मार्ग के बगल और धूल-गर्द की चपेट में हैं। जानकार बताते हैं कि सांस के जरिए शरीर में प्रवेश करते धूल-गर्द का बुरा असर तत्काल भले ही महसूस न हो, लेकिन एक समय बाद यह स्वास्थ्य पर बेहद प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता हैं। इसपर संजीदगी से विचार कर प्रदूषण की रोकथाम के प्रभावी कदम जरूर उठाये जाने चाहिए।
क्या कहते हैं लोग |
छठ मंदिर से बांसगढ़ा माइंस तक सड़क पर प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। कुछ दिन पहले स्थानीय महिलाओं ने ट्रांसपोर्टिंग रोक प्रदूषण के खिलाफ विरोध जताया था। जिसपर प्रबंधन ने नियमित तीन टाइम पानी छिड़काव और सड़क पर धूल-गर्द की सफाई का आश्वासन दिया था। दो दिन पानी छिड़काव और सफाई कराने के बाद प्रबंधन शांत बैठ गई है। परियोजना पदाधिकारी से बात की गई, लेकिन समस्या का समाधान होता नहीं दिख रहा है। लोग काफी परेशानी झेल रहे है
–अजय पासवान, मुखिया भुरकुंडा पंचायत
यहां पास में बलकुदरा माइंस और कांटाघर है, जहां से इस रास्ते पर कोयले का ट्रांसपोर्टिंग होता है। वाहनों से कोयला सड़क पर गिरकर धूल-गर्द बनता है और फिर सड़क के दोनों तरफ जमा होकर उड़ता रहा है। इसकी रोकथाम के लिए तीन टाइम पानी का छिड़काव काफी नहीं है। प्रबंधन से मांग है कि सड़क के दोनों तरफ जमा होते धूल-गर्द की रोजाना सफाई हो और अधिक मात्रा में पानी छिड़काव भी किया जाना चाहिए।
–संजय मिश्रा, क्षेत्रीय सचिव (AJKSS)
यहां सड़क धूल-गर्दा से भरपूर है। बच्चे बीमार पड़ जाते है। सड़क का धूल-गर्दा शरीर में जाकर नुकसान कर रहा है। बहुत परेशानी है। अधिकारी लोग सब देखकर भी ध्यान नहीं दे रहे हैं।
– ताजुल अंसारी, स्थानीय