रामगढ़: सीसीएल बरका-सयाल प्रक्षेत्र के भुरकुंडा लोकल सेल पर छाये विवाद के काले बादल छंटते नहीं दिख रहे हैं। काफी अरसे बाद शुरू हुई लोकल सेल चालू करने की कवायद बीते कई माह से ठंडी पड़ी हुई थी। इधर, विस्थापितों के एक खेमे ने लोकल सेल में भागीदारी और संचालन को लेकर बैठक कर मुद्दे को फिर से गर्म कर दिया है। 

भुरकुंडा लोकल सेल को लेकर रविवार को हुड़ूमगढ़ा में पूर्व जिप सदस्य झरी मुंडा की अध्यक्षता और ब्रह्मदेव मुर्मू के संचालन में रैयत विस्थापितों की बैठक हुई। जिसमें राजस्व गांव के ग्रामीण शामिल रहे। बैठक में कहा गया कि नौकरी और रोजगार के अभाव में क्षेत्र के विस्थापित पलायन को मजबूर हैं। विस्थापितों की जमीन भुरकुंडा कोलियरी के लिए अधिग्रहित की गई। बावजूद इसके आजतक विस्थापितों को ही नजरअंदाज किया जाता रहा है। वहीं कुछ तथाकथित विस्थापितों ने ही यहां के मूल रैयत और विस्थापितों को छला है और उन्हें उनके अधिकार से वंचित रखने का काम किया है। यही वजह है कि यहां के विस्थापित आज दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं।

बैठक में कहा गया कि बीते 40 वर्षों तक लोकल सेल में विस्थापित के नाम पर कई लोग लाभ उठाते रहे। लेकिन मूल रैयतों को लाभ से वंचित रखा गया। कहा गया कि भुरकुंडा लोकल सेल के संचालन के लिए प्रबंधन हमलोगों से सीधे तौर पर संपर्क करे और लोकल सेल में
भागीदारी सुनिश्चित करते हुए हमें सेल संचालन का जिम्मा सौंपे।

बैठक में सिकंदर मुर्मू, सुनील मुंडा, संतोष मांझी, पवन मुंडा, रोहित मुंडा, विकास मुंडा, सूरज मुर्मू, राकेश मुंडा, राजेश महतो, सुनील करमाली, छोटू बेदिया, जयवीर मुंडा, सुनील बेदिया, दिनेश मुर्मू, संजय सोरेन, अभिजीत सोरेन सहित अन्य उपस्थित थे।

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