Samarpan and RMI did a program for the childrenSamarpan and RMI did a program for the children

कोडरमा: संस्था समर्पण एवं आरएमआई विगत कई वर्षों से जिलें के सुदूर ग्रामीण माइका माइन्स क्षेंत्र में गुणात्मक शिक्षा को बढ़ावा देने एवं ड्रॉपआउट बच्चों को स्कूलों से जोड़ने का कार्य कर रही है। इसी क्रम में बेंदी पंचायत अंतर्गत छतारा गांव में “बिन बक्सा स्कूल” कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बच्चों के शिक्षा में होने वाली मानसिक और शारीरिक बोझ को कम करना है। विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति का ग्राफ बढ़ाने के लिए भी यह एक बेहतर कदम है।
समर्पण के राजेश कुमार ने बताया कि गांव में अक्सर बच्चें स्कूल के समय बाहर खेलते हुए दिखाई देते हैं। अभिभावकों का कहना भी वह नहीं मानते हैं। बच्चों से पूछने पर बच्चें बताते हैं कि स्कूल में पढ़ाई होती नहीं है। स्कूल की पढ़ाई में मन नहीं लगता है। बच्चों को पढ़ाई में मन लगे, स्कूल जाने की आदत लगे। इस ख्याल से हमारी टीम बच्चों के साथ आनंददायी गतिविधियों के साथ शिक्षण-प्रशिक्षण का कार्य कर रही है।

राजन विश्वकर्मा ने बताया कि बच्चों को खेल में ज्यादा मन लगता है तो हम लोग खेल-खेल में ही उन्हें शिक्षा देने का काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस तरह के गतिविधियों से बच्चें अलग तरीके से शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं और अब वे पढ़ाई से भागते भी नहीं है। उन्होंने बताया कि अलग-अलग गांव में जो बच्चे ड्रॉप आउट हो गए थे या आउट ऑफ़ स्कूल थे उन्हें स्थानीय स्कूलों में जोड़ दिया गया है हमारी टीम नियमित रूप से स्कूल के बाहर एवं स्कूलों में भी इस तरह की गतिविधियां संचालित संपादित कर रही है।

कार्यक्रम में मुख्य रूप से सुमन कुमारी,खुशबू कुमारी, संगीता कुमारी, सोनम कुमारी, रानी कुमारी, प्रतिमा कुमारी, पवन कुमार, लक्ष्मण कुमार, सुधीर कुमार, अजय कुमार, अजीत कुमार एवं अन्य शामिल हैं जो अन्य बच्चों को भी उत्प्रेरित करने का काम करते हैं।

कार्यक्रम को सफल बनाने में परियोजना उत्प्रेरक आलोक कुमार सिन्हा, राजन कुमार विश्वकर्मा, राजेश कुमार, मनीष कुमार लहरी, संदीप कुमार यादव, राजेश सिंह, राहुल कुमार भुइयां, महेंद्र कुमार का विशेष सहयोग प्राप्त है। वहीं शिक्षक अनुराग विश्वकर्मा, राजेंद्र सिंह, कमलेश ओझा, सुरेश सिंह, शकील अहमद, संतोष पांडे, सीके सिंह ने भी इस तरह के कार्यक्रमों एवं गतिविधियों की सराहना की है एवं अपने-अपने विद्यालयों में इसे अडॉप्ट कर बच्चों को बेहतर शिक्षा मुहैया करा रहे हैं।

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