बड़कागांव: कर्णपुरा महाविद्यालय बड़कागांव के सेमिनार हॉल में इतिहास विभाग द्वारा सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसमें “भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में महात्मा गांधी की भूमिका”विषय पर परिचर्चा की गई।इस सेमिनार में बतौर मुख्य अतिथि पूर्व प्राचार्य ज्योति जलधार शामिल रहे।

अवसर पर उन्होंने कहा कि अहिंसा, ईमानदारी, समर्पण, सहनशीलता, सहयोग और त्याग महात्मा गांधी की हर योजना का हिस्सा रहा। देश की आजादी का उनका लक्ष्य 15 अगस्त 1947 को पूरा हुआ। 

सेमिनार की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य कीर्तिनाथ महतो ने  कहा कि भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के मुख्य नेता महात्मा गांधी थे। उन्होंने ने अहिंसा और सत्य को हिंसा के खिलाफ लड़ने के लिए दो सबसे अहम हथियार बताया। असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, चंपारण आंदोलन जैसे स्वतंत्रता आंदोलनो के माध्यम से वह हमेशा मानव अधिकारों के लिए खड़े रहे।

सेमिनार में डॉ. चंद्रशेखर राणा ने महात्मा गांधी की जीवनी पर विस्तार पूर्वक प्रकाश डालें, कहा कि 1917 ईस्वी में चंपारण आंदोलन, 1919 में खिलाफत आंदोलन, 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन आदि महात्मा गांधी जी के स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा है। इस सेमिनार का संचालन इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर सुरेश महतो ने किया। इन्होंने कहा कि गांधी जी आत्मकथा सहित कुल 9 पुस्तकों को लिखे थे । गांधी जी का संदेश था “हमने विशेष रूप से अहिंसा संघर्ष के लिए अपने सभी संसाधनों का उपयोग करने का संकल्प लिया है”।

मौके पर प्रो. निरंजन प्रसाद नीरज, प्रो. फजरुद्दीन, प्रो.लालदेव महतो, प्रो. नरेश कुमार दांगी, प्रो. ऋतुराज दास, प्रो.रंजीत प्रसाद, प्रो.पवन कुमार, प्रो.ललिता कुमारी, लेखापाल सनवीर कुमार, नेमधारी राम। छात्र –छात्राओं में ऊषा कुमारी, ललिता कुमारी, प्रियंका कुमारी, सीमा, सुनीता, राधा कुमारी, बबलू कुमार, रणधीर कुमार, आनंद शिशुपाल, मनोज कुमार आदि उपस्थित थे।

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