चहारदीवारी निर्माण में बलकुदरा ओबी के पत्थरों का उपयोग संदेहास्पद

रामगढ़: भुरकुंडा पंचायत में महत्वाकांक्षी साल (सखुआ) वृक्ष की नर्सरी के प्रोजेक्ट को धरातल पर उतारने की कवायद शुरू हो गई है। लोकल सेल डीपो से लेकर पावर हाउस तक चिन्हित भूमि पर चहारदीवारी का निर्माण हो रहा है। साथ ही साथ जलनिकासी की भी व्यवस्था की जा रही है। काम में स्थानीय मजदूर लगे हुए हैं। आसपास के लोगों में नर्सरी निर्माण को लेकर काफी कौतूहल देखा जा रहा है।

चहारदीवारी निर्माण में दो प्रकार के पत्थरों का उपयोग, अनियमितता की आशंका

नर्सरी की चहारदीवारी निर्माण में दो प्रकार के पत्थरों का उपयोग हो रहा है। जो अनियमितता की आशंकाओं को बल दे रहा है। कार्यस्थल पर दो प्रकार के पत्थर डंप किए देखे जा रहे हैं।  एक प्रकार का पत्थर बाहर से मंगाया जा रहा है। जो कि साइज में समरूप,आयताकार और काफी मजबूत है। वहीं दूसरी ओर बलकुदरा ओपी डंप से पत्थर का भी उठाव कर निर्माण में उपयोग किया जा रहा है। कार्यस्थल से लगभग तीन सौ मीटर दूर बलकुदरा माइंस के ओबी डंप पर मजदूर चट्टानों को तोड़ते देखे जा रहे हैं।

इस संबंध में मजदूर और कर्मी से पूछे जाने पर वे संवेदक के निर्देशानुसार काम करने की बात कह रहे हैं। वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि ओबी के पत्थरों से चहारदीवारी की बुनियाद काफी कमजोर हो सकती है। निर्माण में भारी अनियमितता की चर्चा भी हो रही है।

बताते चले कि सीसीएल के सहयोग से वन विभाग छह एकड़ में साल (सखुआ) नर्सरी के प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। झारखंड में बड़े पैमाने पर तैयार हो रही साल वृक्ष की यह नर्सरी होगी। यहां तैयार होनेवाले पौधों प्लांटेशन विभिन्न क्षेत्रों में किया जाएगा। यह प्रोजेक्ट लगभग तीन वर्षों में पूरा हो जाएगा

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