• जयंती समारोह में शामिल हुए स्वतंत्रता सेनानी के वंशज

• सांस्कृतिक कार्यक्रमों का हुआ आयोजन, उमड़े लोग 

रामगढ़ : पतरातू प्रखंड को कोड़ी गांव में सोमवार को स्वतंत्रता सेनानी शहीद जीतराम बेदिया की 222 वीं जयंती समारोहपूर्वक मनाई गई। कार्यक्रम में जीतराम बेदिया के वंशज सहित सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण शामिल हुए। अवसर पर कोड़ी बाजार चौक पर शहीद जीतराम बेदिया की भव्य प्रतिमा का अनावरण किया गया। इससे पूर्व पाहनों के द्वारा पूजा कर कलशयात्रा निकाली गई। कलश में जल लेकर महिलाएं और युवतियां कोड़ी बाजार चौक पहुंची। वहीं शहीद जीतराम बेदिया के वंशजों के आगमन पर पारंपरिक तरीके से उनका स्वागत और अभिनन्दन किया गया। इसके उपरांत ढोल-नगाड़ों के थाप के बीच कलश के साथ महिलाओं और युवतियों ने प्रतिमा स्थल की परिक्रमा की। पाहन द्वारा पूजा-अर्चना कर स्वतंत्रता सेनानी की भव्य प्रतिमा का अनावरण किया गया। इसके उपरांत स्वतंत्रता सेनानी के वंशजों सहित गणमान्य अतिथियों ने प्रतिमा पर तिलक लगाकर माल्यार्पण किया। वहीं प्रतिमा पर पुष्प वर्षा करते हुए लोगों ने ‘भारत माता की जय’ और ‘शहीद जीतराम बेदिया अमर रहे’ सरीखे नारे भी लगाए। 

जयंती समारोह की शुरुआत जीतराम बेदिया की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर दीप प्रज्जवलित कर किया गया।कार्यक्रम में शहीद जीतराम बेदिया के वंशज धर्मनाथ बेदिया, सघना बेदिया, अकलू बेदिया, मोतीलाल बेदिया और धनराज बेदिया सहित झामुमो केंद्रीय सचिव संजीव बेदिया, जिप सदस्य जयराम बेदिया, रामफल बेदिया, रामदास बेदिया, कोमिला देवी, नरेश बड़ाइक, टिंकू बेदिया, सहजनाथ बेदिया, बृजकिशोर बेदिया, प्रेम बेदिया, मांगों बेदिया, जगमोहन बेदिया, बिहारी बेदिया, रतिलाल बेदिया, बालेश्वर बेदिया, धनंजय बेदिया, सकलदेव बेदिया, अशोक बेदिया, मधुसूदन बेदिया, रविंद्र बेदिया, बबलू बेदिया सहित कई शामिल रहे। समारोह में शामिल सभी गणमान्य अतिथियों का स्वागत पारंपरिक अंगवस्त्र देकर और बैज लगाकर किया गया। इसके साथ ही रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन हुआ। जो देर शाम तक जारी रहा। मंच संचालन रोहन राम बेदिया ने किया। वहीं कार्यक्रम स्थल पर लगे मेले कई दुकानें सजी रहीं। जहां ग्रामीणों की काफी भीड़ लगी रही।

स्वतंत्रता सेनानी की हो रही उपेक्षा, राज्य सरकार दे सम्मान! 

वहीं कार्यक्रम के दौरान शहीद जीतराम बेदिया के वंशजों ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के शहीद शेख भिखारी और टिकैत उमरांव सिंह की तरह ओरमांझी के गगारी गांव के रहनेवाले जीतराम बेदिया ने भी देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। लेकिन इतिहासकारों ने उन्हें गुमनाम रखा, सरकार ने भी सुध नहीं ली। बेदिया समाज के द्वारा काफी संघर्ष करने के बाद देश और राज्य सरकार ने माना की जीतराम बेदिया ने स्वतंत्रता संग्राम में बलिदान दिया है। वर्ष 2016 में झारखंड के तात्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास की पहल पर विधानसभा में शहीद जीतराम बेदिया की तस्वीर भी लगाई गई। बावजूद इसके अब भी शहीद जीतराम बेदिया की उपेक्षा की जा रही है। संसद भवन और झारखंड के नये विधानसभा में शहीद की तस्वीर तक नहीं लग सकी है। वंशजों ने झारखंड सरकार से मांग करते हुए कहा कि स्वतंत्रता सेनानी की उपेक्षा करना सही नहीं है। शहीद जीतराम बेदिया के संघर्ष को भी पाठ्यक्रमों में जगह दी जाए। स्वतंत्रता संग्राम में उन्होंने जिन औजारों से अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी थी उसे संग्रहालय में रखा जाए। 

आयोजन को सफल बनाने में इनका रहा योगदान 

प्रतिमा निर्माण समिति के अध्यक्ष अनिल बेदिया, सचिव चंद्रमोहन, कोषाध्यक्ष संजय बेदिया, उपाध्यक्ष मनोज बेदिया, सह सचिव फूलदेव बेदिया और रतन बेदिया शामिल रहे। वहीं जयंती समारोह समिति में अध्यक्ष युगेश कुमार बेदिया, सचिव राजेंद्र बेदिया, कोषाध्यक्ष कामेश्वर बेदिया, उपाध्यक्ष अर्जुन बेदिया, सह सचिव गोविंद बेदिया, संयोजक रतन बेदिया, संरक्षक भुनेश्वर बेदिया, कैलाश बेदिया, कार्यकारी अध्यक्ष सह जिला पार्षद जयराम बेदिया सहित अन्य का सराहनीय योगदान रहा। 

By Admin

error: Content is protected !!