आप की बात: एक ही बच्चा होने पर फुलस्टॉप ! – मुक्ता सिंह

 

        यदि सामाजिक दृष्टि से इसे देखे तो यह आज के परिवेश में बहुत ही महत्वपूर्ण सवाल बन गया है। वहीं आवश्यकता देखें तो आज यह प्रासंगिक भी है और मंथन का विषय भी।

लोग ज्वाइंट फैमिली से फैमिली में विभक्त होते गए और फैमिली से विंग में। मैं यहां जानबूझकर ज्वाइंट, फैमिली, विंग का उपयोग कर रही हूं। पहले हम जिस परिवार में रहते थे वहां दादा-दादी, चाचा-चाची, भाई-बहन होते थे। अपना अलग और चाचा का अलग जैसा कुछ नहीं था।  हम अपनी सारी जिज्ञासाएं और अपने सारे सीक्रेट्स (गुप्त जानकारी) अपने भाई-बहनों से साझा करते थे। जो पूरी तरह सुरक्षित होता था। मस्ती-खेल सब आपस में ही होते थे। हमारे पहले शिक्षक भी बड़े भाई-बहन ही होते थे। तब बाहरी दुनिया की बुरी आबो-हवा हमे छू भी नही पाती थी। अब बच्चे एकल होने के कारण सारे दिन खेल-मस्ती या पढ़ाई के नाम पर बाहर रहते हैं। उनके कोई भाई-बहन नहीं होने के कारण वो ये रिश्ते बाहर ढूंढते हैं। जहां उन्हें बरगलाया जा सकता है।

वहीं आज बच्चों का अधिकांश एकल बच्चे सोशल साइट पे व्यतीत करते हैं। जहां ज्ञानवर्धक जानकारी के साथ -साथ पोर्न भी परोसा जाता है, वह भी बड़े ही आकर्षक ढंग से। जिसे बच्चा अपनी जिज्ञासा शांत करने के लिए देखने लगता है। यहां तक की छोटे बच्चों के कार्टून्स में भी एडल्ट सामग्री पेश की जाती है। जिससे बच्चे मानसिक तौर पर समय से पहले बड़े तो हो ही रहे हैं। साथ ही गलत लोगों के शिकार भी हो रहे हैं। यहां तक कि ऑनलाइन गेम्स (खेल) में भी कई तरह के हिंसा, अश्लीलता, क्रूरता पेश की जा रही है। अकेला होने के कारण प्रायः बच्चे को उचित-अनुचित का बोध नहीं हो पाता है।

अब आते हैं इसकी प्रासंगिकता पर, ये आज के युग में एकल परिवार होने के कारण माता-पिता की मजबूरी भी हो गयी है। भौतिकतावादी इस युग में हर सुख-सुविधा अपने बच्चों को देने के लिए माता-पिता दोनों को धनार्जन के लिए घर से बाहर जाना पड़ता है। इस बढ़ती महंगाई के युग मे अपने बच्चों को सुख-सुविधा, पढ़ाई-लिखाई, खेल आदि के लिए रात-दिन मेहनत करना पड़ता है। ऐसे में दो-तीन बच्चों को पालना बहुत मुश्किल भी हो गया है। ये माता-पिता की मजबूरी भी कह सकते हैं कि, एक बच्चे पे फुलस्टॉप लगा देते हैं।

मुक्ता सिंह

युवराज सिल्वर टावर 4 सी,
डिप्टी पारा, रंका कम्पाउंड,
कचहरी चौक
लैंड मार्क-नियर एसएसपी ऑफिस, रांची, झारखंड

 

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