आप की बात: नारी- प्रशांत कुमार

कहते हैं इक्कीसवीं सदी आ गई है,
लगता है जैसे मानवता की बर्बादी आ गई है।

कहते हैं ना कोई अंतर, नर और नारी में,
फिर भी जूल्म सह रही नारी, लाचारी में।

कहते हैं ये सब कि नारी शक्ति स्वरूप हैं,
फिर क्यों करता है कोई, इनको कुरूप है।

हर ओर फैला बस, यही वातावरण है,
हर दिन होता किसी न किसी, नारी का चीरहरण है।

जिसने पाया नारी से, अपना अस्तित्व है,
वो समझता है कि नारी पर, बस उसका ही स्वामित्व है।

क्यों शर्म नही आती, इस युग में पापियों को अपनी करनी पर,
करते हैं जुल्म और दिखाते हैं मर्दानगी, जीवन जननी पर।

कहते हैं कि इक्कीसवीं सदी आ गई है,
लगता हैं जैसे, मानवता की बर्बादी आ गई है।

 

प्रशांत कुमार

शिव नगर कॉलोनी बीटीटीआई, बुध बाजार, रिवर साइड, भुरकुंडा
जिला रामगढ़, झारखंड

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