रांची: भारतीय जनतंत्र मोर्चा के केन्द्रीय अध्यक्ष धर्मेंन्द्र तिवारी ने बयान जारी कर कहा है कि झारखंड सरकार ने रोजगार का सब्जबाग दिखाकर झारखंडी बेरोजगार भाई-बहनों को एक बार फिर से धोखे में रखा है। सरकार के आदेश से झारखंड कर्मचारी चयन आयोग ने जो वैकेंसी निकाली है, उसमें ना तो 1932 खतियान आधारित नियोजन का उल्लेख है, ना ही स्थानीय नीति का जिक्र है।

उन्होंने कहा कि सरकार ने ‘ओपन फॉर ऑल’ के तर्ज पर विज्ञापन निकाला है, इसके तहत किसी भी राज्य के प्रतिभागी भाग लेंगे और अपने योग्यता के अनुसार नौकरी को पाएंगे. झारखंड से मैट्रिक, इन्टर और स्नातक पास युवाओं के लिए सरकार ने सीटे आरक्षित नहीं किया है। यह सरासर झारखंडी भाई-बहनों युवाओं के साथ हेमंत सरकार द्वारा किया गया छल है। इस मुद्दे पर पक्ष-विपक्ष दोनों तरफ के नेताओं के मुंह बंद है। आदिवासियों के अधिकार की बात करने वाले तथाकथित आदिवासी हितैषी सड़क से लेकर विधानसभा तक में चुप्पी साधे हुए हैं और जनता को दिग्भ्रमित कर अपनी राजनीतिक रोटी सेंक रहे हैं।

कहा कि, राज्य सरकार के सभी विभागों में लाखों की तदाद में रिक्तियां हैं। संविदा पर लाखों लोग काम कर रहे हैं, शिक्षकों की बहाली भी लटकी हुई है। युवा रोजगार के लिए भटक रहे हैं। अपना घर-परिवार छोड़कर दूसरे राज्यों में रोजगार के लिए पलायन कर रहे हैं, उनके लिए सरकार के पास कोई योजना नहीं है। इस मामले में सरकार सोई हुई मालूम पड़ती है।

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धर्मेंद्र तिवारी ने कहा कि भारतीय जनतंत्र मोर्चा हेमंत सरकार से मांग करती है कि वह दोहरा चरित्र ना दिखायें। जिस वादा के आधार पर हेमंत ने सत्ता हासिल किया, उस पर अडिग रहकर जनता की अपेक्षाओं पर वह खरा उतरे। हेमंत सरकार यह भूल रही है कि काठ की हांडी बार-बार आग पर नहीं चढ़ती है। इसलिए हेमंत सरकार अविलंब आगामी बजट सत्र में विधेयक लाकर खतियानधारी झारखंडी मेहनतकश युवाओं/बेरोजगारों के हित में सभी स्तरों की सरकारी नियुक्तियों में आरक्षण की व्यवस्था करे। और सभी विभागों के रिक्तियों को भरे।

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