Not a single district president of Congress is a minority in JharkhandNot a single district president of Congress is a minority in Jharkhand

अल्पसंख्यक समुदाय के कार्यकर्ता नाराज़

कांग्रेस पार्टी ने झारखंड के सभी 24 जिलों में जिलाध्यक्षों की घोषणा कर दी है। नये जिलाध्यक्षों के मनोनयन के साथ ही अल्पसंख्यक विशेषकर मुस्लिम समुदाय से आनेवाले कार्यकर्ताओं में भारी नाराज़गी है। 

बात यह है कि कांग्रेस संगठन के शीर्ष नेताओं ने झारखंड में इस बार बहुसंख्यक समुदाय के समान्य और ओबीसी वर्ग से आनेवाले कार्यकर्ताओं पर ज्यादा भरोसा जताया है। नवमनोनित 24 जिलाध्यक्षों में एक भी अल्पसंख्यक समुदाय से नहीं है। इससे प्रतीत होता है कि झारखंड में कांग्रेस सांगठनिक मजबूती के लिए नये कार्यकर्ताओं और चुनाव में नये वोटर की तलाश में जुट गई है।

जानकारों की माने तो झारखंड में सत्ताधारी दल झामुमो, कांग्रेस और राजद के पारंपरिक वोटर कमोबेश एक ही हैं। राज्य के आदिवासियों की बड़ी आबादी का झुकाव झामुमो की तरफ है। मुस्लिम और ईसाई समुदाय के वोटरों का एक बड़ा हिस्सा झामुमो, कांग्रेस में बंटा हुआ है। यहां भी क्षेत्रीय पार्टी झामुमो अपनी सहयोगी राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस से मजबूत दिखती है।

लिहाजा झारखंड में स्थिति मजबूत करने के लिए कांग्रेस अब बहुसंख्यक समुदाय के सामान्य और ओबीसी वोटरों को अपने पाले में लाने की जुगत भिड़ाती दिख रही है। जो झारखंड में अधिकांशतः भाजपा के मूल वोटर माने जाते हैं।

बरहाल, इस निर्णय के पीछे क्या गणित है यह कांग्रेस का अंदरूनी मामला है। लेकिन पुराने मुस्लिम कार्यकर्ताओं में जिलाध्यक्षों के मनोनयन को लेकर नाराजगी बढ़ती दिख रही है। 

जानकारी के अनुसार यह नाराजगी संगठन के शीर्ष नेताओं तक भी पहुंच रही है। जिलाध्यक्षों के मनोनयन में पुनः फेरबदल हो, यह संभव नहीं दिखता। नाराज अल्पसंख्यक कार्यकर्ताओं को प्रदेश कांग्रेस के नेता कैसे रिझाते हैं, यह देखने लायक होगा। 

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